लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आ गए है। इस चुनाव में दो ऐसे उम्मीदवारों ने भी जीत दर्ज की है जो लंबे समय से जेल में बंद है। इस सूची में अमृतपाल सिंह और इंजीनीयर राशिद का नाम शामिल है। इन दोनों ही उम्मीदवारों ने लोकसभा चुनाव को जीत लिया है।
मगर अब सवाल ये खड़ा होता है कि जेल में रहते हुए दोनों उम्मीदवार जनता की सेवा कैसे कर सकेंगे। इन दोनों पर जो मुकदमे चलाए जा रहे हैं उनका क्या होगा। और क्या ये दोनों जेल से बाहर आ सकेंगे ताकि शपथ ग्रहण कर सकें।
ले सकेंगे शपथ
लोकसभा चुनाव में दो उम्मीदवारों ने जेल में रहते हुए चुनाव में जीत हासिल की है। अमृतपाल सिंह ने पंजाब के खडूर साहिब और इंजीनियर शेख अब्दुल रशीद बारामूला से जीत गए है। जीत के साथ दोनों ही उम्मीदवार अब सांसद तो बन गए है मगर सवाल ये हैं कि दोनों को जेल में शपथ कैसे दिलवाई जाएगी और क्या ये शपथ लेने के लिए जेल से बाहर आएंगे। जानकारी के मुताबिक दोनों को शपथ दिलाई जा सकती है मगर वो संसद की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। दोनों ही सांसद जेल में आतंकवाद के आरोप में सजा काट रहे है।
जेल में है रशिद और अमृतपाल
इंजीनीयर शेख अब्दुल रशीद पर आरोप है कि उसने आतंकवाद को वित्त पोषित किया था। उसे नौ अगस्त 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद रखा गया है। वहीं अमृतपाल सिंह असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। उस पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत आरोप लगाया गया है। दोनों ही सांसद जेल में बंद रहने के दौरान क्या शपथ ले सकते है? लोकसभा चुनाव जीतने के बाद कैसे ली जाती है जेल से शपथ, जानें यहां।
चुनाव में जीत हासिल करने के बाद कोई भी उम्मीदवार शपथ ग्रहण करने के लिए योग्य होता है। जीते हुए उम्मीदवार का शपथ लेना अधिकार होता है। अगर जीता हुआ उम्मीदवार जेल में सजा काट रहा है तो जेल उसे जेल अधिकारियों को कहना होगा कि उसे शपथ ग्रहण समारोह में ले जाने के लिए संसद तक ले जाए। शपथ लेने के बाद ऐसे उम्मीदवारों को दोबारा संसद में लौटना होगा।
इस अनुच्छेद में दिया प्रावधान
संविधान के अनुच्छेद 101 (4) में ये कहा गया है कि शपथ समारोह के बाद सदन से उनकी अनुपस्थिति के संबंध में अध्यक्ष को सूचना भेजी जाएगी। स्पीकर सदस्यों की अनुपस्थिति के मामले पर समिति को सदन में भाग लेने में असमर्थता के संबंध में सूचना देंगे। अगर दोनों ही उम्मीदवारों को दोषी ठहराया जाता है और उन्हें दो साल की जेल होती है तो उनकी लोकसभा सदस्यता उनसे छीन ली जाएगी। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में कहा था कि ऐसे सांसद और विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाएगा।