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Jagan Mohan Reddy: अर्श से फर्श पर आए आंध्र के मुख्यमंत्री, संघर्षों से हासिल किया था ऊंचा मुकाम

अमरावती । आंध्र प्रदेश के निवर्तमान मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने पिछले करीब 15 साल के अपने राजनीतिक करियर के दौरान कई उतार-चढ़ाव देखे। साल 2009 में पिता व अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी के निधन के बाद उन्होंने कांग्रेस आलाकमान की तरफ से उपेक्षा झेली और आय से अधिक संपत्ति के मामले में कई महीने जेल में बिताए। साल 2011 में उन्होंने अपनी खुद की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस का गठन किया और निरंतर संघर्ष करते हुए 2019 में पार्टी को सत्ता में लाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए। हालांकि मंगलवार को लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और उनके लिए एक बार फिर संघर्ष का दौर शुरू हो गया है। 
इक्कीस दिसंबर 1972 को कडप्पा जिले के जम्मालामदुगु में जन्मे जगन मोहन ने अपना कारोबारी करियर 1999-2000 में पड़ोसी राज्य कर्नाटक में संदूर नाम की एक पावर कंपनी स्थापित कर शुरू किया था। इस कंपनी को उन्होंने पूर्वोत्तर भारत तक पहुंचाया। राजशेखर रेड्डी के 2004 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उनका कारोबार फलने-फूलने लगा और उन्होंने सीमेंट संयंत्र, मीडिया और विनिर्माण क्षेत्र में भी काम शुरू किया। राजशेखर रेड्डी के इकलौते बेटे जगन मोहन की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का पता 2004 में चला। उस साल वह कांग्रेस के टिकट पर कडप्पा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन बात नहीं बन पाई। 
इसके बाद उन्हें पांच साल का इंतजार करना पड़ा और पहली बार 2009 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर कडप्पा से लोकसभा चुनाव जीतकर राजनीति में उनका प्रवेश हुआ। हालांकि जगन मोहन रेड्डी की यह खुशी ज्यादा समय तक नहीं रही। दो सितम्बर 2009 को राजशेखर रेड्डी की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई, जिसके बाद जगन मोहन रेड्डी राजनीतिक अनिश्चितताओं से घिर गए। इसके बाद जगन मुख्यमंत्री बनने के लिए तत्कालीन कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से मिले लेकिन बात नहीं बनी। अधिकतर विधायकों ने उन्हें अपना समर्थन दिया, इसके बावजूद रोसैय्या को राज्य का नया मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। इस फैसले से नाराज जगन ने कांग्रेस से अलग होकर 12 मार्च 2011 को अपनी खुद की पार्टी युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) का गठन किया। हालांकि, राजनीतिक अनिश्चितताएं इतनी ज्यादा थीं कि भ्रष्टाचार के आरोपों में उन्हें 16 महीने जेल में गुजारने पड़े। 
चौबीस सितम्बर 2013 को चंचलगुडा जेल से रिहा होने के बाद जगन मोहन रेड्डी सीधे चुनावी राजनीति में उतर गए, लेकिन आंध्र प्रदेश के विभाजन के कारण 2014 के चुनावों में वे सत्ता हासिल करने में असफल रहे। भाजपा के साथ गठबंधन और जनसेना के बाहरी समर्थन से तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) विजयी हुई, जिसके चलते वाईएसआरसीपी प्रमुख को अगले पांच वर्षों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी, और 2019 में जाकर उन्होंने जीत का स्वाद चखा। 2019 में वाईएसआरसीपी का प्रदर्शन शानदार रहा और उसे 151 विधानसभा और 22 लोकसभा सीट पर जीत मिली। साल 2019 के चुनावों से पहले आंध्र प्रदेश के कोने-कोने में सैकड़ों किलोमीटर की पदयात्रा करके जगन ने जनता के बीच अपनी पकड़ बनाई। पांच साल के कल्याण-केंद्रित शासन के बाद, जगन ने 2024 के चुनावों में फिर से तेदेपा, भाजपा और जनसेना के राजग गठबंधन से मुकाबला किया। राजनीतिक विरोधियों के अलावा, उन्हें अपने परिवार के सदस्यों जैसे आंध्र प्रदेश कांग्रेस समिति (एपीसीसी) की अध्यक्ष और बहन वाई. एस. शर्मिला और चचेरी बहन सुनीता नारेड्डी की ओर से भी विरोध का सामना करना पड़ा।

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