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आंध्र प्रदेश सरकार ने सड़कों पर रैली करने पर रोक लगायी, विपक्ष ने निंदा की

आंध्र प्रदेश सरकार ने जन सुरक्षा का हवाला देते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग समेत विभिन्न सड़कों पर जन सभाएं तथा रैलियां आयोजित करने पर रोक लगा दी है। विपक्ष ने यह आरोप लगाते हुए इस कदम की निंदा की कि इसका मकसद उसकी आवाज को कुचलना है।
सोमवार देर रात जारी यह आदेश पिछले सप्ताह कंदुकुरु में मुख्य विपक्षी दल तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) की एक रैली में भगदड़ मचने की घटना के बाद आया है जिसमें आठ लोगों की मौत हो गयी थी।
केवल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद जी वी एल नरसिम्हा राव ने सरकार के इस फैसले का सशर्त समर्थन किया है।

यह निषेधाज्ञा आदेश (जीओ नंबर 1) पुलिस कानून, 1861 के प्रावधानों के तहत सोमवार देर रात को जारी किया गया।
इस बीच, तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू चार से छह जनवरी तक अपने विधानसभा क्षेत्र कुप्पम की यात्रा करने वाले हैं लेकिन उन्हें पालमनेर उपसंभाग पुलिस कार्यालय (एसडीपीओ) ने नोटिस जारी कर कहा है कि निषेधाज्ञा आदेश का उल्लंघन कर यदि कोई सभा की जाती है एवं अप्रिय घटनाएं होती हैं तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
एसडीपीओ ने कहा कि यदि ऐसे स्थानों की पहचान की जाती है जहां लोगों को असुविधा न हो तो वह नायडू की सभा के लिए अनुमति देने पर विचार करेगा।
सरकार ने अपने आदेश में कहा, ‘‘सार्वजनिक सड़कों पर जनसभा करने का अधिकार पुलिस कानून, 1861 की धारा 30 के तहत नियमन का विषय है।’’

प्रधान सचिव (गृह) हरीश कुमार गुप्ता ने सरकारी आदेश में संबधित जिला प्रशासन और पुलिस तंत्र से ‘‘ऐसे स्थानों की पहचान करने के लिए कहा है जो जन सभाओं के लिए सार्वजनिक सड़कों से दूर हों, ताकि यातायात, लोगों की आवाजाही, आपात सेवाओं, आवश्यक सामान की आवाजाही आदि बाधित न हो।’’
प्रधान सचिव ने कहा, ‘‘प्राधिकारियों को सार्वजनिक सड़कों पर जनसभाओं की अनुमति देने से बचना चाहिए। केवल दुर्लभ और असाधारण परिस्थितियों में ही सार्वजनिक सभाओं की अनुमति देने पर विचार किया जा सकता है और इसकी वजहें लिखित में दर्ज होनी चाहिए।’’

उन्होंने 28 दिसंबर को हुई कंदुकुरु की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘‘सार्वजनिक सड़कों तथा सड़क किनारे सभाएं करने से लोगों की जान को खतरा होता है और यातायात भी बाधित होता है।’’
उन्होंने कहा कि पुलिस को स्थिति काबू करने में काफी वक्त लगता है।
विपक्षी दलों ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। तेदेपा के प्रदेश अध्यक्ष के अत्चननाडू ने एक बयान में कहा, ‘‘ विपक्ष सरकार की विफलताओं को उजागर कर रहा है, ऐसे में बस उसकी आवाज को कुचलने के लिए जगन मोहन रेड्डी शासन ने यह काला आदेश जारी किया है। यह शासन बदले की भावना से काम कर रहा है क्योंकि चंद्रबाबू नायडू की रैलियों के प्रति भारी जन उत्साह दिख रहा है।’’

जन सेना की राजनीतिक मामलों की समिति के अध्यक्ष एन मनोहर ने कहा कि ‘‘आधी रात को जारी सरकारी आदेश’ से जगन मोहन रेड्डी शासन के तानाशाही रवैये का ही खुलासा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘ राजनीतिक दलों की गतिविधियां संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुसार हैं। क्या जगन सरकार ने आंध्र प्रदेश में अनुच्छेद 19 को खत्म कर दिया है?’’

प्रदेश भाजपा महासचिव एस विष्णुवर्द्धन रेड्डी ने एक बयान में कहा कि वाईएसआर कांग्रेस को पता होना चाहिए कि जनसभाएं एवं रैलियां करना किसी राजनीतिक दल का हक होता है लेकिन इस सरकार ने अपने शासन के विरूद्ध विपक्ष को सड़क पर आने से रोकने का विचित्र फैसला किया है।
हालांकि पार्टी के राज्यसभा सदस्य राव ने आदेश का स्वागत किया लेकिन कहा, ‘‘ हमारा सुझाव है कि कुछ समय बाद इसकी समीक्षा की जाए। यदि विपक्ष की रैलियों को रोकने के लिए इसका उपयोग किया जाता है तो हम निश्चित ही इसका विरोध करेंगे।

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