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Bilkis Bano Case: सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती, सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस के दोषियों की फाइलों पर गुजरात की खिंचाई की

बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में दोषियों की समय से पहले रिहाई पर फाइलों की मांग करने वाले सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश को केंद्र और गुजरात चुनौती दे सकती हैं। केंद्र और गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वे बिलकिस बानो मामले में दोषियों को दी गई छूट के संबंध में फाइल मंगाने के सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश को चुनौती दे सकते हैं। सरकार विशेषाधिकार का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रासंगिक दस्तावेज पेश नहीं करना चाहती है। अदालत के आदेश की समीक्षा के लिए याचिका दायर किए जाने की बात भी कही गई। याचिका पर 2 मई को अंतिम सुनवाई होगी। 

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केंद्र और गुजरात सरकार कि तरफ से ये कदम ऐसे वक्त में सामने आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने आज गुजरात सरकार से जानना चाहा कि उसने दोषियों की समय से पहले रिहाई की अनुमति क्यों दी। जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने मामले की सुनवाई की। राज्य और केंद्र की सरकारों की खिंचाई करते हुए न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि आज यह महिला है। कल यह कोई और हो सकता है। मेरे भाइयों और बहनों के साथ जो होता है वह निश्चित रूप से बहुत चिंता का विषय है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती, वैसे ही नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती।’

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गुजरात सरकार नेशीर्ष अदालत को बताया कि वह विकल्पों पर विचार कर रहा है और संभवत: अदालत के पहले के आदेश को चुनौती देगा जिसमें दोषियों को छूट की फाइलें मांगी गई थीं। 9 सितंबर, 2022 को, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात को बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए 11 दोषियों को दी गई छूट से संबंधित दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर रखने को कहा था। 

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