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क्या भारतीय आलसी, आत्मसंतुष्ट और पराजय की भावना से ग्रसित हैं? नेहरू-इंदिरा के सवालों का 64 साल बाद मोदी ने दिया जवाब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर इस बात को लेकर निशाना साधा है जिसमें उन्होंने भारतीयों को आलसी बताया था। पीएम मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि 15 अगस्त को लाल किले से प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा था कि हिंदुस्तान में काफी मेहनत करने की आदत आमतौर पर नहीं है। हम इतना काम नहीं करते जितना विदेशी देशों के लोग करते हैं। यह ना समझिए वे देश कोई जादू से खुशहाल हो गए हैं वे अक्ल और मेहनत से खुशहाल हुए हैं। नेहरू जी कि भारतीयों के प्रति सोच थी की भारतीय कम अक्ल के लोग होते हैं। कांग्रेस ने देश के सामर्थ्य पर कभी विश्वास नहीं किया। वे अपने आप को शासक मानते रहे और जनता को कमतर आंकते रहे। वहीं इंदिरा गांधी जी यह मानती थी कि देश के लोग पराजय की भावना से ग्रसित हैं।

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1959 के अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारतीयों को आलसी लोग कहा था। ये सुनन में भले ही अविश्वसनीय लगे, लेकिन उन्होंने जो कहा वो इस प्रकार है:-
भारत में कड़ी मेहनत करने की आदत नहीं रही है। गलती हमारी नहीं, कभी-कभी ऐसी आदतें बन जाती है। लेकिन तथ्य ये है कि हम यूरोपीय, जापानी, चीनी, रूसी या अमेरिकियों जितनी मेहनत नहीं करते हैं। ये मत सोचो कि वे देश किसी जादू से विकसित हुए, वे कड़ी मेहनत और बुद्धिमत्ता से विकसित हुए। हम भी मेहनत और अक्स से बढ़ सकते हैं। कोई चारा नहीं है। 

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पराजय भावना को अपना लिया
इंदिरा गांधी ने 15 अगस्त को लाल किले से कहा था कि दुर्भाग्यवश हमारी आदत यह है कि जब कोई शुभ काम पूरा होने को होता है, तहब हम आत्मतृष्टि की भावना से ग्रस्त हो जाते हैं। जब कोई कठिनाई आ जाती है तो हम नाउम्मीद हो जाते हैं। कभी कभी तो ऐसा लगने लगता है कि पूरे राष्ट्र ने ही पराजय भावना को अपना लिया है। 

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