केंद्र सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने के लगभग चार साल बाद, फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की बहुप्रतीक्षित सुनवाई 2 अगस्त, 2023 को सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई। मार्च 2020 में अपनी आखिरी लिस्टिंग के बाद से तीन साल से अधिक समय से सुप्रीम कोर्ट में निष्क्रिय पड़ा था। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ आज से रोजाना सुनवाई शुरू कर दी है। संविधान पीठ में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं। अनुच्छेद 370 पर कपिल सिब्बल सहित अन्य दिग्गज वकील जिरह कर रहे हैं। लिस्ट में 18 वकील शामिल हैं। दलील के लिए 60 घंटे का वक्त दिया गया है।
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कपिल सिब्बल ने कहा कि यह एक राजनीतिक निर्णय है। आप 370 हटाना चाहते हैं, हटाइये। आप भारत को पूर्ण रूप से एकीकृत होना चाहते हैं, करिए। लेकिन यह एक राजनीतिक कृत्य है। उस राजनीतिक अधिनियम का प्रयोग संसद, एक विधायी निकाय द्वारा नहीं किया जा सकता है। वह विधायी निकाय संविधान द्वारा नियंत्रित है। यह उससे आगे नहीं जा सकता। सीजेआई के सवाल और सिब्बल की दलील के बीच 370 हटाने की याचिकाओं पर आज की बहस काफी दिलचस्प रही। जिसके बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम इसे कल समाप्त कर सकते हैं। सिब्बल ने जवाब में कहां कि बहुत आभारी हूं।
अनुच्छेद 370 पर सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि हमें इतिहास में जाने की जरूरत है। भारत सरकार और जम्मू कश्मीर राज्य के बीच ये समझ थी कि हमारी संविधान सभा होगी, जो भविष्य की कार्रवाई का निर्धारण करेगी। ये तय करेगी कि 370 को निरस्त किया जाना चाहिए या नहीं। संसद अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के प्रस्ताव के जरिए यह नहीं कह सकती कि हम संविधान सभा हैं। संविधान निर्माताओं ने 1950 में यही सोचा था और ये 5 अगस्त तक लागू रहा तो फिर ये कैसे बदल सकता है।
सीजेआई के सवाल, सिब्बल की दलील
सीजेआई- राज्य की संविधान सभा का कार्यकाल कितना रहा होगा?
सिब्बल- 1951-57 तक
सीजेआई- तो इसलिए, 7 साल के खत्म होने के साथ, संविधान सभा की संस्था ही समाप्त हो गई तो फिर आगे प्रावधान का क्या होगा?
सिब्बल- संविधान सभा ने ये फैसला लिया।
सीजेआई- किस संविधान सभा की सिफ़ारिश? इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि एकमात्र संविधान सभा जिसका गठन संविधान निर्माण के उद्देश्य से किया गया था। एक बार संविधान का निर्माण हो गया तो वह हो गया।
सिब्बल- बिल्कुल सही बात है। संविधान बनने के बाद संविधान सभा का कोई अस्तित्व नहीं रह सकता।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़- संविधान सभा संसद या सुप्रीम कोर्ट की तरह स्थायी निकाय नहीं है। यह एक ऐसा निकाय है जिसका एक विशिष्ट उद्देश्य होता है और जब यह पूरा हो जाता है तो यह फंक्शनस ऑफिसियो बन जाता है। क्या राष्ट्रपति के ऐसा करने से पहले, संविधान सभा की सलाह की जरूरत होती है? क्या होता है जब संविधान सभा की भावना समाप्त हो जाती है?
सिब्बल: राष्ट्रपति ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं कर सकते।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़: तो क्या हम कह सकते हैं कि संविधान सभा समाप्त होने के बाद खंड (3) के तहत शक्ति चली जाती है? इसे स्थायी प्रावधान में परिवर्तित करें, भले ही ऐसा करने का इरादा नहीं था?