बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने शुक्रवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा प्रहार किया और विपक्षी दलों का एक ‘‘फासीवाद विरोधी’’ समूह बनाने की जरूरत पर जोर दिया।
बिहार सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे भाकपा माले की ओर से आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करने के लिए यहां आयी थी।
रॉय ने कहा, ‘‘देश चार लोगों द्वारा चलाया जाता है। उनमें से दो खरीदार हैं और अन्य दो विक्रेता हैं। ये सभी गुजरात के हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी को लगता है कि उन्हें अडानी के बारे में बोलने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आम लोगों को पांच किलोग्राम राशन के लिए हमेशा उनका आभारी रहना चाहिए। लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट 100 अरब डॉलर के घोटाले की बात करती है। यह देश का सबसे बड़ा कॉर्पोरेट घोटाला है।’’
रॉय ने प्रधानमंत्री के साथ बिजनेस टाइकून की कथित निकटता का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘पहले मोदी जी अडानी के विमान से यात्रा करते थे। अब अडानी मोदी जी के साथ उनके विमान में यात्रा करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कृषि कानून अडानी और उसके जैसे लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए लाए गए थे, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि किसानों की जमीन छीनने के उद्देश्य से लाए गए कानूनों से पहले ही उनके गोदाम बन गए थे।’’
रॉय उस विधेयक का जिक्र कर रही थीं जिसे निरंतर विरोध के मद्देनजर रद्द कर दिया गया था।
उन्होंने आयकर विभाग की बीबीसी के खिलाफ कार्रवाई पर अमेरिका और ब्रिटेन की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘अडानी के स्वामित्व वाली संपत्तियों पर कभी कोई छापेमारी नहीं की गई, लेकिन बीबीसी को 2002 के गुजरात दंगों के पीछे की सच्चाई को सामने लाने की कीमत चुकानी पड़ रही है।’’
रॉय ने ‘‘फासीवाद के खिलाफ खड़े होने के लिए भाकपा माले की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘‘मौजूदा पूंजीवादी व्यवस्था का विरोध करने वाली सभी ताकतों को एक साथ लाना आवश्यक था, जिसमें पांच प्रतिशत लोग देश की 60 प्रतिशत संपत्ति को नियंत्रित करते हैं।