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जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सनातन धर्म पर हमले तेज क्यों होते जा रहे हैं?

जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे विपक्षी गठबंधन इंडिया के घटक दल सनातन धर्म पर हमला तेज करते जा रहे हैं। इंडिया गठबंधन की महत्वपूर्ण घटक और तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी द्रमुक के नेता उदयनिधि स्टालिन और सांसद ए. राजा के बाद अब द्रमुक नेता के. पोनमुडी ने सनातन धर्म पर हमला कर दिया। यही नहीं, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे भी उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म विरोधी बयान का एक तरह से समर्थन कर चुके हैं। इसके अलावा, बिहार में सत्तारुढ़ गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं की ओर से भी हिंदू आस्था को चोट पहुँचाने वाली टिप्पणियां की जा रही हैं। वहीं, विपक्षी गठबंधन इंडिया में शामिल समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य तो सनातन धर्म के विरोध में ताल ठोक कर खड़े हैं। इस बीच शिवसेना यूबीटी के नेता उद्धव ठाकरे ने एक तरह से राम के काम में अडंगा लगाने वाला काम करते हुए कहा है कि आने वाले दिनों में राम मंदिर का उद्घाटन होगा। संभावना है कि उद्घाटन के लिए देशभर से कई हिंदुओं को बुलाया जाएगा और समारोह खत्म होने के बाद लोगों के लौटने पर वे गोधरा कांड जैसा कुछ कर सकते हैं। इन सब बयानों पर आप गौर करेंगे तो एक चीज साफ नजर आयेगी कि विपक्षी गठबंधन की मुंबई में हुई बैठक के बाद ही सनातन धर्म विरोधी बयानों का सिलसिला शुरू हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई यह आरोप सही हैं कि उस बैठक में सनातन धर्म को मानने वालों की आस्था को ठेस पहुँचाने की रणनीति बनाई गयी होगी? यहां यह सवाल भी उठता है कि अब जब विपक्षी गठबंधन की समन्वय समिति की बैठक होने जा रही है तब क्या इस अभियान को आगे बढ़ाने की रूपरेखा बनेगी या इस अभियान के तहत अब तक कितनी कामयाबी हासिल होगी इसकी समीक्षा की जायेगी?
भाजपा का आरोप
हम आपको बता दें कि विपक्षी गठबंधन के नेताओं की ओर से लगातार आ रहे सनातन धर्म विरोधी बयानों को देखते हुए भाजपा ने तो आरोप लगा भी दिया है कि वोट बैंक की राजनीति के लिए सनातन धर्म पर हमला विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) का गुप्त एजेंडा है। पार्टी ने इस प्राचीन धर्म के बारे में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नेताओं की लगातार आलोचनात्मक टिप्पणियों के बीच विपक्षी नेताओं की ‘चुप्पी’ पर भी सवाल उठाए। भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि सोनिया गांधी इस मामले पर अगर चुप्पी साधे रहेंगी तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि सनातन धर्म का विरोध करना ‘इंडिया’ के न्यूनतम साझा कार्यक्रम का हिस्सा है। रविशंकर प्रसाद ने द्रमुक के एक नेता की उस हालिया टिप्पणी का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि सनातन धर्म का विरोध करना संगठन का एजेंडा है। इस बारे में रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तमिलनाडु के नेता ने जो कहा है वह विपक्षी गठबंधन के बारे में सही ही है।

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उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भाजपा इस गठबंधन से एक स्पष्ट प्रस्ताव लाने का आग्रह करेगी कि वह इससे खुद को (द्रमुक की आलोचना से) पूरी तरह अलग करता है और यह उनका एजेंडा नहीं है।’’ द्रमुक द्वारा अपनी आलोचना को सही ठहराने के लिए सनातन धर्म को हिंदुओं के बीच जातिगत भेदभाव की प्रथा से जोड़ने पर भाजपा नेता ने कहा कि शबीर, केवट और संत रविदास जैसे पिछड़ी जातियों के श्रद्धेय लोगों को समर्पित मंदिर बनाए गए हैं। उन्होंने दावा किया कि सनातन धर्म का मानना है कि कोई भी व्यक्ति अपनी जाति और समुदाय की पृष्ठभूमि के बावजूद अपनी भक्ति से भगवान को प्राप्त कर सकता है।
कांग्रेस पर पलटवार करते हुए प्रसाद ने कहा कि द्रमुक से लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और समाजवादी पार्टी (सपा) जैसे दलों के कुछ विपक्षी नेता सनातन धर्म और हिंदू धर्म से जुड़े पवित्र ग्रंथों की आलोचना करने में मुखर रहे हैं, लेकिन क्या वे अन्य धर्मों और उनके पवित्र व्यक्तित्वों की आलोचना करने का साहस जुटा सकते हैं? उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति और विरासत का हर रोज अपमान किया जा रहा है और भाजपा इस मुद्दे को लेकर देश भर के गांवों में जाएगी और साथ ही विकास तथा विरासत की बात भी करेगी। उन्होंने विपक्षी नेताओं से सवाल किया कि सनातन धर्म का यह ‘शर्मनाक अपमान’ क्यों किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि देश यह अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने हाल ही में भारत द्वारा आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन की बैठक के दौरान कोणार्क चक्र और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को दी गई प्रमुखता के बारे में भी बात की।
कांग्रेस का पलटवार
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के कुछ नेताओं द्वारा सनातन धर्म को लेकर की गई टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में भारतीय जनता पार्टी के विपक्ष पर हमले को लेकर पलटवार करते हुए मंगलवार को कहा कि उसे सनातन और राष्ट्रवाद पर ‘ढोंगियों’ से प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने यह भी कहा कि कांग्रेस सर्वधर्म समभाव में विश्वास करती है। सुप्रिया श्रीनेत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘भाजपा से हमें राष्ट्रवाद, सनातन धर्म और आजादी के आंदोलन में योगदान पर प्रमाणपत्र नहीं चाहिए क्योंकि इन सब पर उसका स्कोर निल बटे सन्नाटा है। कांग्रेस सर्वधर्म समभाव में विश्वास करती है।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हमें किसी से भी, खासतौर पर ढोंगियों से प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है।’’ 

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