कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को भोपाल से नई दिल्ली की एयर इंडिया की उड़ान के दौरान टूटी हुई सीट पर यात्रा करने के बाद हुई असुविधा पर दुख व्यक्त किया। इसको लेकर शिवराज ने एक्स पर लंबा पोस्ट साक्षा किया था। इसके बाद केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को मामले की जांच करने और तुरंत सुधारात्मक उपाय सुझाने का निर्देश दिया है।
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नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने यह भी कहा कि हमने इस मुद्दे पर तुरंत एयर इंडिया से बात की और उन्हें आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। हमारी ओर से, डीजीसीए भी मामले के विवरण को तुरंत देखेगा। और मैंने व्यक्तिगत रूप से शिवराज जी से भी बात की है। चौहान ने एयर इंडिया के साथ अपने असुविधाजनक अनुभव को साझा करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स का सहारा लिया, जहां उन्हें भोपाल से दिल्ली की उड़ान के दौरान टूटी हुई सीट दी गई थी।
शिवराज ने इससे पहले अपने पोस्ट में लिखा था कि आज मुझे भोपाल से दिल्ली आना था, पूसा में किसान मेले का उद्घाटन, कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती मिशन की बैठक और चंडीगढ़ में किसान संगठन के माननीय प्रतिनिधियों से चर्चा करनी है। मैंने एयर इंडिया की फ्लाइट क्रमांक AI436 में टिकिट करवाया था, मुझे सीट क्रमांक 8C आवंटित हुई। मैं जाकर सीट पर बैठा, सीट टूटी और अंदर धंसी हुई थी। बैठना तकलीफदायक था। जब मैंने विमानकर्मियों से पूछा कि खराब सीट थी तो आवंटित क्यों की? उन्होंने बताया कि प्रबंधन को पहले सूचित कर दिया था कि ये सीट ठीक नहीं है, इसका टिकट नहीं बेचना चाहिए। ऐसी एक नहीं और भी सीटें हैं।
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उन्होंने आगे कहा कि सहयात्रियों ने मुझे बहुत आग्रह किया कि मैं उनसे सीट बदल कर अच्छी सीट पर बैठ जाऊं लेकिन मैं अपने लिए किसी और मित्र को तकलीफ क्यों दूं, मैंने फैसला किया कि मैं इसी सीट पर बैठकर अपनी यात्रा पूरी करूंगा। मेरी धारणा थी कि टाटा प्रबंधन के हाथ में लेने के बाद एयर इंडिया की सेवा बेहतर हुई होगी, लेकिन ये मेरा भ्रम निकला। मुझे बैठने में कष्ट की चिंता नहीं है लेकिन यात्रियों से पूरा पैसा वसूलने के बाद उन्हें खराब और कष्टदायक सीट पर बैठाना अनैतिक है। क्या ये यात्रियों के साथ धोखा नहीं है? क्या आगे किसी यात्री को ऐसा कष्ट न हो, इसके लिए एयर इंडिया प्रबंधन कदम उठाएगा या यात्रियों की जल्दी पहुंचने की मजबूरी का फायदा उठाता रहेगा।