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फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में आजम खां, पत्नी और बेटे को सात साल की जेल

रामपुर की एक अदालत ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री आजम खां, उनकी पत्नी तज़ीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को वर्ष 2019 के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में दोषी ठहराते हुए सात साल की जेल की सजा सुनाई।
समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने अदालत के इस निर्णय के बाद आरोप लगाते हुए कहा कि खां के धर्म की वजह से उनके साथ अन्याय हो रहा है।
अभियोजन पक्ष के वकील अरुण प्रकाश सक्सेना ने बताया, एमपी—एमएलए अदालत के मजिस्ट्रेट शोभित बंसल ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में आजम खां, उनकी पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को सात साल की सजा सुनायी और 50 हजार रुपये जुर्माने का जुर्माना भी लगाया। फैसले के बाद, तीनों को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया और अदालत से ही जेल भेज दिया गया।

अदालत के आज फैसला सुनाये जाने के मद्देनजर शहर में व्यापक सुरक्षा बंदोबस्त किये गये थे।
सक्सेना ने बताया कि रामपुर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मौजूदा विधायक आकाश सक्सेना ने तीन जनवरी 2019 को गंज पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि खां और उनकी पत्नी तजीन ने अपने बेटे अब्दुल्ला आजम को दो फर्जी जन्म प्रमाण पत्र हासिल करने में मदद की थी। इसमें कहा गया था कि इनमें से एक प्रमाणपत्र लखनऊ से जबकि दूसरा रामपुर से बनवाया गया था।
उन्होंने बताया कि सभी अभियुक्तों को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420 में तीन वर्ष का कारावास और 10-10 हजार रुपये जुर्माने, धारा 467 में सात वर्ष की कैद और 15-15 हजार रुपये जुर्माना, धारा 468 में तीन वर्ष का कारावास और 10-10 हजार रुपये जुर्माना, धारा 471 में दो वर्ष का कारावास और 10-10 हजार रुपये जुर्माना तथा धारा 120—बी में एक वर्ष कारावास और पांच-पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी है।

सक्सेना ने बताया कि इस तरह अधिकतम सजा सात साल है जो कि सात वर्ष माना जाएगा और जुर्माने की रकम 50 हजार रुपये मानी जाएगी।
सजा सुनाए जाने के बाद बाहर निकले आजम खां से जब मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि ‘‘आज फैसला हुआ है, फैसले में और इंसाफ में फर्क होता है।’’
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजम खां, उनकी पत्नी और बेटे को फर्जी जन्म प्रमाणपत्र मामले में रामपुर की अदालत द्वारा सात साल की सजा सुनाये जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि खां के धर्म की वजह से उनके साथ अन्याय हो रहा है।
सपा द्वारा सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किये गये एक वीडियो में यादव ने कन्नौज में संवाददाताओं से बातचीत में खां और उनके परिजन को सजा सुनाये जाने के सवाल पर कहा, मुझे तो यह लगता है कि कहीं धर्म के कारण उनके (आजम) साथ इतना अन्याय न हो रहा हो। सबको यकीन है और सब जानते हैं कि उन पर इसीलिये अन्याय हो रहा है कि उनका धर्म दूसरा है।
अभियोजन पक्ष के वकील सक्सेना ने बताया कि रामपुर नगर पालिका द्वारा जारी प्रमाण पत्र में अब्दुल्ला आजम की जन्मतिथि एक जनवरी 1993 बताई गई थी।

उन्होंने बताया कि वहीं दूसरे प्रमाण पत्र से पता चला कि उनका जन्म 30 सितंबर, 1990 को लखनऊ में हुआ था।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर स्वार सीट से जीतने वाले अब्दुल्ला को वर्ष 2008 में एक लोक सेवक को गलत तरीके से रोकने के लिए उस पर हमला करने के आरोप में मुरादाबाद की एक अदालत ने पहले ही दोषी ठहराया था।इस साल फरवरी में दोषी ठहराए जाने और दो साल की जेल की सजा सुनाए जाने के दो दिन बाद अब्दुल्ला को उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
उन्होंने बताया कि अब्दुल्ला ने अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिये उच्च न्यायालय में अपील की थी जिसे नामंजूर कर दिया गया था।
अदालत के निर्णय के बाद आजम, उनकी पत्नी तजीन फातिमा और अब्दुल्ला आजम को अदालत से सीधे जेल ले जाया गया। रामपुर जेल के मुख्य द्वार के सामने उन्होंने संवाददाताओं से कहा, पूरे शहर को मालूम था कि क्या फैसला होना है।

आपके चैनल पर भी चल रहा था की कितनी सजा होनी है, शायद आपने फैसला पढ़ लिया होगा। हमें आज पता चला है।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए) 1951 के प्रावधानों के तहत दो साल या उससे अधिक की कैद की सजा पाने वाले किसी भी जनप्रतिनिधि को सजा की तारीख से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है और सजा काटने के बाद अगले छह साल तक उसके चुनाव लड़ने पर रोक रहती है।
रामपुर से 10 बार विधायक रहे आजम खां वर्ष 2022 में भी इसी सीट से चुने गये थे, लेकिन पिछले साल नफरती बयान प्रकरण में स्थानीय अदालत द्वारा दो साल की सजा सुनाये जाने के बाद उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गयी थी।
मामले के वादी रामपुर से मौजूदा विधायक आकाश सक्सेना ने अदालत के निर्णय को ऐतिहासिक बताया और कहा कि अन्याय खिलाफ जंग आगे भी जारी रहेगी।
उन्होंने पीटीआई— से कहा कि आजम खां को बेटे अब्दुल्ला को विधायक बनाने की जिद उनके लिये नुकसानदेह साबित हो गयी।

उन्होंने कहा कि खां ने अपने बेटे अब्दुल्ला आजम को विधायक बनाने के लिए सभी नियम-कायदे-कानून ताक पर रख दिए थे। उन्होंने कहा कि उस वक्त अब्दुल्ला आजम चुनाव लड़ने की अर्हता आयु कम से कम 25 वर्ष पूरी नहीं कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उनके पुराने जन्म प्रमाण पत्र के अनुसार 2017 में अब्दुल्ला आजम की आयु 24 वर्ष हो रही थी, लेकिन इसके बाद आजम खां ने अपने पद का प्रभाव दिखाते हुए अब्दुल्ला आजम का एक और जन्म प्रमाण पत्र बनवा लिया, जिसमें अब्दुल्ला की आयु 30 सितंबर 1990 दर्शाई गई है।
सक्सेना ने बताया कि दूसरे प्रमाणपत्र के अनुसार वर्ष 2017 में अब्दुल्ला आजम की आयु 26 वर्ष से अधिक हो रही थी, जिसके आधार पर उस वक्त अब्दुल्ला आजम ने अपना चुनाव लड़ा और जीत गए।

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