केन्द्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री और अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने शनिवार को पिछड़ों के कल्याण के लिए पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्रालय के गठन की मांग उठायी। इसके साथ ही उन्होंने जातीय जनगणना पर जोर देते हुए कहा कि जातिगत जनगणना से ही पिछड़ों-दलितों की सही स्थिति का आकलन होगा और पिछड़ों के कल्याण के लिए नीतियां तैयार होंगी।
अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष पटेल ने शनिवार को पार्टी के स्थापना दिवस पर अयोध्या के राजपूत पैलेस में एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा, पिछड़ों के कल्याण के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय की तर्ज पर पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्रालय का भी गठन होना चाहिए। इसके अलावा अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का गठन हो ताकि न्यायपालिका में भी दलित-पिछड़ा वर्ग के होनहार युवाओं को जज बनने का अवसर मिल सके।
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कुर्मी समाज से आने वालीं अनुप्रिया पटेल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा हैं। उनके पिता डॉक्टर सोनेलाल पटेल ने चार नवंबर, 1995 को अपना दल की स्थापना की थी।
स्थापना समारोह को संबोधित करते हुए अनुप्रिया ने कहा, पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों की मेहनत की बदौलत आज हमारी पार्टी प्रदेश की तीसरे नंबर की पार्टी का गौरव हासिल कर चुकी है, लेकिन हमें तीसरे स्थान से संतुष्ट होने की जरूरत नहीं। हमें पार्टी को नंबर वन बनाना है।
पार्टी की ओर से जारी एक बयान के अनुसार उन्होंने आह्वान किया, आज स्थापना दिवस के अवसर पर हमें संकल्प लेना है कि पार्टी को और ऊंचाइयों पर ले जाना है। इसके लिए हमें जन-जन तक पार्टी के विचारों एवं सिद्धांतों को लेकर जाना है, उसकी चर्चा करनी है।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि आज पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का राग अलापने वाली समाजवादी पार्टी ने सदैव हमारी पार्टी को तोड़ने का कार्य किया है। समाजवादी पार्टी ने 2002 में हमारे तीन विधायकों को तोड़ लिया।
प्रधानमंत्री की सराहना करते हुए अनुप्रिया पटेल ने कहा, दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में राजग ने सदैव दलित-पिछड़ों को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। प्रधानमंत्री ने डॉ. सोनेलाल पटेल जी के नाम पर प्रतापगढ़ में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की। उन्होंने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता दिलाया। उन्होंने मेडिकल की परीक्षा नीट में ओबीसी आरक्षण लागू करने का सराहनीय कार्य किया।
अनुप्रिया पटेल ने जातीय जनगणना पर जोर देते हुए कहा, दलित-पिछड़ों को दमन चक्र से मुक्त कर लोकतंत्र के सभी स्तंभों में स्थापित करने के लिए अपना दल का जन्म हुआ।
पार्टी स्थापना काल से जाति जनगणना की मांग रही है। आज आजादी के 75 साल बाद भी लोकतंत्र के सभी स्तंभों में दलित-पिछड़ों की भागीदारी पर्याप्त नहीं है। जति जनगणना से ही इसकी सही स्थिति का आंकलन होगा और पिछड़ों के कल्याण के लिए नीतियां तैयार होंगी।
अपना दल की स्थापना अनुप्रिया के पिता और लंबे समय तक बसपा संस्थापक कांशीराम के अनुयायी रहे डॉक्टर सोनेलाल पटेल ने उनसे मनमुटाव के बाद चार नवंबर 1995 को की थी। वर्ष 2009 में एक हादसे में डॉक्टर पटेल का निधन हो गया था। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी कृष्णा पटेल ने पार्टी का नेतृत्व संभाला और बेटी अनुप्रिया पार्टी की महासचिव बनीं। हालांकि डॉक्टर पटेल के निधन के कुछ ही वर्षों बाद अपना दल में दो फाड़ हो गया। एक धड़े का नेतृत्व अनुप्रिया और दूसरे धड़े का नेतृत्व उनकी मां कृष्णा पटेल कर रही हैं।
वर्ष 2012 में अनुप्रिया पटेल पहली बार वाराणसी के रोहनिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गईं और 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी ने भाजपा से गठबंधन किया। वर्ष 2014 में मिर्जापुर संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने जाने के बाद अनुप्रिया को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्रिपरिषद विस्तार में मंत्री बनने का मौका मिला और इसके बाद से ही मां-बेटी के बीच मनमुटाव शुरू हो गया।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले अपना दल दोफाड़ हो गया। अनुप्रिया ने भाजपा गठबंधन से अपनी पार्टी का चुनाव लड़ा और विधानसभा में उनके नौ विधायक जीते।
जबकि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा गठबंधन से उनके 12 विधायक चुनाव जीते और अनुप्रिया के नेतृत्व में पार्टी राज्य की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई।
निर्वाचन आयोग ने अपना दल (एस) को राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा दिया।
इस समय उप्र की 403 सदस्यीय विधानसभा में अपना दल (एस) के 13 विधायक हैं, जो संख्या बल के हिसाब से विधानसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है।
उधर, अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल के नेतृत्व में अपना दल-कमेरावादी ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर वर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा। लेकिन कृष्णा पटेल समेत अपना दल कमेरावादी के सभी उम्मीदवार चुनाव हार गये।
हालांकि, अनुप्रिया की बड़ी बहन पल्लवी पटेल समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर सिराथू से चुनाव जीतीं और उन्होंने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को पराजित किया। पटेल परिवार के बीच शुरू हुई राजनीतिक वर्चस्व की यह लड़ाई 2017 से ही जारी है।