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वायु सेना कितनी प्रभावी हो सकती है ये बालाकोट ऑपरेशन ने दिखाया, एयरोस्पेस पावर सेमिवार में बोले IAF चीफ

भारत के दुश्मनों की प्रवृति का उल्लेख करते हुए एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने वायु शक्ति की आवश्यक भूमिका पर जोर दिया। एयर चीफ मार्शल ने कहा कि बालाकोट हवाई हमलों जैसे ऑपरेशनों ने दिखाया है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति को देखते हुए एयरोस्पेस शक्ति को प्रभावी रूप से में इस्तेमाल किया जा सकता है। फरवरी 2019 में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर बम हमले के जवाब में पाकिस्तान की सीमा के अंदर बालाकोट में आतंकी शिविरों पर एयर स्ट्राइक किया था। 

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एयर चीफ मार्शल चौधरी ने सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज द्वारा आयोजित मार्शल ऑफ द इंडियन एयर फोर्स अर्जन सिंह मेमोरियल सेमिनार में ‘एयरोस्पेस पावर: पिवोट टू फ्यूचर बैटलस्पेस ऑपरेशंस’ पर बोलते हुए कहा कि तीव्रता, फ्लेक्सिब्लिटी और बेजोड़ सटीक हमले की क्षमता के कारण पसंद का विकल्प बन गई है। इस साल फरवरी में आईएएफ ने अपना संशोधित सिद्धांत सार्वजनिक किया, जिसमें उसने पहली बार “नो वार, नो पीस” परिदृश्य में वायु शक्ति की भूमिका निर्धारित की- ऐसी स्थिति जिसका आमतौर पर भारत सामना करता है।

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एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि भारत की सुरक्षा चिंताओं के लिए यह आवश्यक है कि वह पर्याप्त सैन्य शक्ति स्थापित करे, जिसमें प्रतिरोध हासित करने की क्षमता हो, सूचना का प्रभुत्व सुनिश्चित हो, जरूरत पड़ने पर जबरदस्ती और कई प्रतिक्रिया विकल्प प्रदान करें। उन्होंने कहा कि एयरोस्पेस शक्ति के गुण नेतृत्व को वांछित अंत स्थिति, संघर्ष समाप्ति मानदंड और वृद्धि मेट्रिक्स को उचित संज्ञान के साथ उचित रणनीति तैयार करने में सक्षम बनाते हैं।

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