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Prabhasakshi Exclusive: Indian Air Force Day से पहले जानिये भविष्य की चुनौतियों से कैसे निबटेगी भारतीय वायुसेना?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि वायुसेना प्रमुख ने कहा है कि टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को पूरी तरह से हटाये जाने तक तैनाती बनी रहेगी। इसके अलावा वायुसेना से दो बड़ी खबरें रहीं कि 97 अतिरिक्त तेजस मार्क-1ए विमान खरीदने पर विचार किया जा रहा है साथ ही आखिरी बार वायु सेना दिवस परेड में शामिल होने को मिग-21 लड़ाकू विमान तैयार है। इसे कैसे देखते हैं आप?
इसके जवाब में उन्होंने कहा कि एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने जो कहा है वह भारत के दुश्मनों को ध्यान से सुनना ही चाहिए और देश की जनता को भी आश्वस्त रहना चाहिए कि हमारी सेनाएं हर स्थिति का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वायुसेना की अभियानगत योजनाएं बहुत ही मजबूत हैं और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जहां भी यह ‘‘शत्रु की संख्या या शक्ति’’ का मुकाबला नहीं कर सकती वहां बेहतर तरकीबों, प्रशिक्षण के जरिये और पर्वतीय रडार जैसे स्वदेश निर्मित सैन्य उपकरण, लंबी दूरी की मिसाइलें तथा ‘अपग्रेडेड’ लड़ाकू विमानों को तैनात कर चुनौतियों से निबटने की बात कही गयी है। उन्होंने कहा कि वायुसेना दिवस से पहले वायुसेना प्रमुख ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी सीमा विवाद पर कहा है कि टकराव वाले शेष स्थानों से (दोनों देशों के) सैनिकों को पीछे हटाये जाने तक क्षेत्र में सीमा पर वायुसेना की तैनाती बनी रहेगी।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वायुसेना की अभियानगत शक्ति को मजबूत करने के लिए उठाये गए कदमों का विवरण देते हुए वायुसेना प्रमुख ने बताया है कि करीब 1.15 लाख करोड़ रुपये की लागत से 97 तेजस मार्क 1ए विमान खरीदने के अनुबंध को जल्द पूरा किया जाएगा। फरवरी 2021 में, रक्षा मंत्रालय ने इस तरह के 83 विमानों की खरीद के लिए हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 48,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था। उन्होंने बताया कि वायुसेना प्रमुख ने कहा है कि 84 सुखोई-30एमकेआई विमनों को 60,000 करोड़ रुपये की लागत से उन्नत करने की एक अन्य परियोजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। वायुसेना अगले सात-आठ साल में ढाई-तीन लाख करोड़ रुपये के मिलिट्री प्लेटफॉर्म, उपकरण एवं हार्डवेयर शामिल करने पर विचार कर रही है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि सैन्य बुनियादी ढांचे में चीन के तेजी से विस्तार करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हवाई साजो-सामान की तैनाती किये जाने के बारे में पूछे जाने पर वायुसेना प्रमुख ने जानकारी दी है कि वायुसेना सीमा पार स्थिति पर आईएसआर (खुफिया, निगरानी, और टोह) तंत्र के जरिये निरंतर नजर रखे हुए है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वायुसेना प्रमुख ने बताया है कि वायुसेना सीमाओं पर निगरानी बेहतर करने के लिए पर्वतीय रडार तैनात करने की प्रक्रिया में जुटी हुई है। चूंकि चीन ने समूची उत्तरी सीमा पर रडार तैनात किए हैं इसलिए भारतीय वायुसेना को शत्रु की निगरानी क्षमता के बारे में पता है। उन्होंने कहा कि वायुसेना प्रमुख ने कहा है कि हमारा जवाब हमारी पर्वतीय रडार परियोजना के माध्यम से है। इसके अलावा, हमारे पास हल्के राडार हैं जिन्हें हम सीमाओं के पार होने वाले घटनाक्रमों के आधार पर लगातार तैनात और पुन: तैनात करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि वायुसेना प्रमुख ने बताया है कि लंबे समय में, हम इन सामरिक स्थानों पर पर्वतीय राडार तैनात करने पर विचार कर रहे हैं ताकि शत्रु के क्षेत्र में समान रूप से देखने में सक्षम हो सकें। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना अपनी लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए लंबी दूरी की मिसाइलों, रडार और अन्य निगरानी उपकरणों जैसी विभिन्न हथियार प्रणालियों की खरीद कर रही है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वायुसेना प्रमुख ने जानकारी दी है कि हमारा जोर हर वक्त बदलाव करने पर बना रहेगा और खास इलाकों में साजो-सामान की तैनाती के संदर्भ में तय सोच नहीं होगी। लेकिन हम बहुत ही लचीली और मजबूत युद्ध नीति रखेंगे, जिसकी हर वक्त समीक्षा की जाती रहेगी और फिर यह हमें प्राप्त खुफिया सूचनाओं पर आधारित होगी। इसके अलावा, वायुसेना को एस-400 मिसाइल प्रणाली की तीन इकाइयां प्राप्त हुई हैं और शेष दो इकाइयां अगले वर्ष तक मिल जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अनिश्चित भू-राजनीतिक स्थिति मजबूत सेना की आवश्यकता को फिर से बता रही है और वायुसेना क्षेत्र में भारत की सैन्य ताकत दिखाने का आधार बनी रहेगी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा, रूसी मूल के मिग-21 लड़ाकू विमान 8 अक्टूबर को वार्षिक वायु सेना दिवस परेड में आखिरी बार भाग लेने के लिए तैयार हैं। भारतीय वायुसेना विमान के शेष तीन स्क्वाड्रन को चरणबद्ध तरीके से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर रही है। उन्होंने कहा कि स्वदेश विकसित तेजस मार्क-1ए विमान 2025 से मिग-21 विमानों की जगह लेंगे। उन्होंने कहा कि करीब 1.15 लाख करोड़ रुपये की लागत से 97 तेजस मार्क-1ए विमान खरीदने का अनुबंध जल्द ही पूरा किया जाएगा। यह 2021 में 83 ऐसे जेट खरीदने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ हुए 48,000 करोड़ रुपये के सौदे के अतिरिक्त होगा। इस समय भारतीय वायु सेना के पास मिग-21 विमानों के तीन स्क्वाड्रन हैं, जिनमें कुल करीब 50 विमान हैं। मिग-21 विमानों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए एक समयसीमा तय की गयी है। उन्होंने कहा कि बताया जा रहा है कि मिग-21 के बाकी स्क्वाड्रन को अगले साल तक चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि मिग-21 विमान आठ अक्टूबर को प्रयागराज में अंतिम बार वायु सेना दिवस परेड में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार के करीब 120 विमान वायु सेना दिवस परेड में हिस्सा लेंगे। हाल में शामिल सी-295 परिवहन विमान को भी परेड में शामिल किया जाएगा। मिग-21 विमानों को 1960 के दशक की शुरुआत में वायु सेना में शामिल किया गया था। वायु सेना ने अपनी समग्र लड़ाकू क्षमता बढ़ाने के लिए 870 से ज्यादा मिग-21 लड़ाकू विमान खरीदे थे। हालांकि, इस विमान का सुरक्षा रिकॉर्ड बहुत खराब रहा है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वायुसेना प्रमुख ने एक और जो महत्वपूर्ण बात बताई है वह यह है कि भारतीय वायुसेना 60,000 करोड़ रुपये की लागत से 84 सुखोई-30 एमकेआई विमानों को उन्नत बनाने और 97 तेजस मार्क-1ए विमानों की खरीद के लिए 1.15 लाख करोड़ रुपये के सौदे को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। फरवरी 2021 में, रक्षा मंत्रालय ने वायुसेना के लिए 83 तेजस एमके-1ए विमानों की खरीद के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 48,000 करोड़ रुपये का करार किया था। 97 अतिरिक्त तेजस मार्क-1ए विमानों की खरीद के बाद वायुसेना के बेडे़ में इन विमानों की कुल संख्या 180 हो जाएगी। इसके अलावा, रक्षा मंत्रालय कुल 156 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) खरीदने के लिए अगले साल एचएएल के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने पर भी विचार कर रहा है, जिसमें से 66 हेलीकॉप्टर वायुसेना के लिए होंगे। वायुसेना के पास फिलहाल 10 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर हैं। वायुसेना ने 83 एलसीए-मार्क 1ए के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। अब हम 97 अतिरिक्त विमान खरीदने की प्रक्रिया के अंतिम चरण में हैं। इसके अनुबंध का मूल्य 1.15 लाख करोड़ रूपये से कुछ अधिक होगा।

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