विभिन्न देशों के साथ भारत के राजनयिक संबंधों पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि विशेष संबंधों में बंधकर रहना हमारे हित में नहीं है क्योंकि रूस के साथ हमारे मजबूत संबंधों की परंपरा है, जो नहीं बनना चाहिए। ये संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ समान रूप से मजबूत रिश्ते के लिए एक बोझ या बाधा हो सकती है। पीएम मोदी की लीडरशिप में हम ईस्ट वेस्ट से लेकर नार्थ साउथ सभी धरों के साथ समान रूप से खड़े हैं। हम आज हम ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में विश्वसनीय हैं। हमें बहुत मजबूत लोकतांत्रिक शक्ति के रूप में भी माना जाता है। इसलिए हमारी प्रौद्योगिकी प्रासंगिकता विकसित दुनिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
इसे भी पढ़ें: India- Pakistan Relation| ‘रात में आतंकवाद, दिन में व्यापार’, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को आड़े हाथ लिया
एस जयशंकर ने कहा कि संबंधों में गिरावट आना हमारी देन नहीं है, यह चीन द्वारा 1993 और 1996 के समझौते का उल्लंघन करके पैदा की गई हैं। यदि हमें एक सभ्य संबंध बनाना है तो उन्हें उन समझौतों का पालन करने की आवश्यकता है और उन्हें यह समझना होगा कि दो प्रमुख देशों के संबंध तभी काम करते हैं जब वे पारस्परिक हित, आपसी संवेदनशीलता और पारस्परिक सम्मान पर आधारित होते हैं।
इसे भी पढ़ें: जयशंकर ने आपूर्ति शृंखला बाधा, कर्ज संकट सहित दुनिया के सामने आ रही चुनौतियों का उठाया मुद्दा
जयशंकर ने जम्मू कश्मीर के बारे में बात करते हुए कहा कि कि इतने वर्षों और इतने सारे अनुभवों के बाद इस मुद्दे को और अधिक स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है, हम सभी जानते हैं कि यह आर्थिक और विकासात्मक, सामाजिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में कितना हानिकारक रहा है जब जम्मू-कश्मीर पूरी तरह से राष्ट्रीय मुख्यधारा में एकीकृत नहीं हुआ था।