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बंगाल पंचायत चुनाव : हिंसा के लिए राजनीतिक दलों ने एक दूसरे पर लगाए आरोप

पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान अलग-अलग जिलों में हिंसा में 12 लोगों की मौत को लेकर राजनीतिक दलों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए। वहीं, विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने की मांग की है।
चुनाव संबंधी मौतों के लिए राज्य निर्वाचन आयुक्त राजीव सिन्हा को दोषी ठहराते हुए भाजपा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखकर राज्य में लोकतंत्र बहाल करने में उनके ‘‘हस्तक्षेप’’ की मांग की और आरोप लगाया कि राज्य में ‘‘सत्तारूढ़ दल द्वारा लोकतंत्र की हत्या’’ कर दी गई, क्योंकि सुरक्षा बल मूकदर्शक बने रहे।
चुनावी हिंसा में अपने आठ समर्थकों को खोने वाली सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने हिंसा के लिए विपक्षी दलों पर आरोप लगाया और मतदाताओं की रक्षा करने में विफलता के लिए केंद्रीय बलों की आलोचना की।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में सभी जिलों में बूथ पर कब्जा किए जाने, धांधली और फर्जी मतदान का जिक्र करते हुए दावा किया गया कि ‘‘मतदान के दिन ही राजनीतिक हिंसा में 15 मौतें हुईं।’’

उन्होंने कहा कि टीएमसी के गुंडे ‘‘आम मतदाताओं के मतदाता पहचान पत्र/आधार कार्ड छीनने में सक्रिय थे।’’ मजूमदार ने दावा किया कि बहुत कम बूथ पर केंद्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बलों के जवान थे, जबकि बाकी पर पुलिस और नागरिक स्वयंसेवक तैनात थे।
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने मांग की कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। भाजपा नेता ने कहा, ‘‘राज्य सरकार के तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न होना बहुत मुश्किल है। यह तभी संभव है, जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाये या अनुच्छेद 355 का इस्तेमाल किया जाये।’’
राज्य प्रशासन पर आतंक का राज कायम करने के आरोपों को खारिज करते हुए मंत्री ब्रात्य बसु ने दावा किया कि यह तृणमूल कांग्रेस है, जो ‘‘विपक्षी दलों द्वारा की जा रही हिंसा का शिकार हो रही है।’’
राज्य की एक अन्य मंत्री, शशि पांजा ने कहा, ‘‘22 जिलों में चुनावों में 16 में हिंसा की कोई घटना दर्ज नहीं की गई। लगभग 61,000 बूथ में से केवल 60 में घटनाएं दर्ज की गईं।’’

अधिकारियों ने बताया कि मध्यरात्रि से हिंसा में मारे गए 12 लोगों में सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस के आठ सदस्य, भारतीय जनता पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), कांग्रेस और इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के एक-एक कार्यकर्ता शामिल है।
टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने दावा किया, ‘‘विपक्षी दलों द्वारा राज्यपाल सी वी आनंद बोस और मीडिया के एक वर्ग की मदद से एक कहानी गढ़ी जा रही है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव हमेशा हिंसक होते हैं। हिंसा की कुछ घटनाएं हुई हैं, लेकिन अगर आप पिछले चुनावों से तुलना करें, आप देखेंगे कि हिंसा और मौतों की घटनाओं में भारी कमी आई है।’’
कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने हिंसक पंचायत चुनावों में जीत के लिए तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी को ‘‘बधाई’’ दी।
चौधरी ने कहा, ‘‘बधाई हो दीदी, आप (पंचायत चुनाव) जीत गई हैं।’’ उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि बनर्जी का चोटिल पैर 11 जुलाई को मतगणना के दिन ठीक हो जाएगा और वह अपने घर से बाहर आएंगी तथा चुनाव में विजयी बनाने के लिए लोगों को धन्यवाद देंगी।

उन्होंने दावा किया कि शनिवार सुबह 7 बजे शुरू हुआ मतदान असल में शुक्रवार रात ही शुरू हो गया था। चौधरी ने आरोप लगाया, ‘‘रात में मतपेटियां बाहर लाई गईं, फर्जी वोट डाले गए।’’
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने राज्य निर्वाचन आयोग पर पंचायत चुनाव कराने के नाम पर स्वांग रचने का आरोप लगाया। माकपा ने सत्तारूढ टीएमसी को मतदान के दौरान हुई 12 मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराया।
माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने मतदान के दौरान लूट का आरोप भी लगाया। चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कराने के नाम पर स्वांग रचा है।’’ उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं के इशारे पर हिंसा हुई।

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