महाराष्ट्र राजनीतिक संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अपनी टिप्पणी की है। भगत सिंह कोश्यारी ने अपने एक बयान में कहा कि मैं सिर्फ संसदीय और विधायी परंपरा जानता हूं और उस हिसाब से मैंने तब जो कदम उठाए सोच-समझकर उठाए। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जब इस्तीफा मेरे पास आ गया तो मैं क्या कहता कि मत दो इस्तीफा। उन्होंने कहा कि 3 महीने हो चुके हैं मैं राज्यपाल से पद से मुक्त हो चुका हूं। मैं राजनीतिक मसलों से खुद को दूर रखता हूं। उन्होंने कहा कि जो मसला सुप्रीम कोर्ट में था, सुप्रीम कोर्ट ने उस पर अपना निर्णय दे दिया है। उन्होंने कहा कि मैं कारण का विद्यार्थी नहीं हूं इसलिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।
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भगत सिंह कोश्यारी ने साफ तौर पर कहा कि जब किसी का इस्तीफा मेरे पास आ गया तो मैं क्या कहता कि तुम इस्तीफा मत दो। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि यह पत्रकारों का काम है कि वह उस पर विवेचना करें। उन्होंने कहा कि मैं चूंकि कानून का विद्यार्थी हूं नहीं, मैं केवल संसदीय परंपराएं जानता हूं। विधायी परंपराएं जानता हूं। उस हिसाब से जो मैंने जो भी कदम उठाए, सोच समझ कर उठाए। उन्होंने कहा, ‘‘उसने (उच्चतम न्यायालय) सही कहा या गलत कहा, यह मेरा काम नहीं है, समीक्षकों का काम है। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से अपने फैसले में कहा कि पिछले साल 30 जून को महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बुलाना सही नहीं था।
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ज्ञात हो कि शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र में महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार को बहाल करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने स्वेच्छा से राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि ठाकरे ने सदन में विश्वास मत का सामना नहीं किया और त्यागपत्र दे दिया इसलिए सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से एकनाथ शिंदे को शपथ दिलाने का राज्यपाल का फैसला सही था।