भोपाल की एक अदालत ने 1984 की गैस त्रासदी के लिए डॉव केमिकल पर मुकदमा चलाने का आग्रह करने वाली सीबीआई सहित अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई शनिवार को छह जनवरी के लिए टाल दी। व्यापक रूप से इसे दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक आपदा माना जाता है।
डॉव केमिकल ने यूनियन कार्बाइड को खरीदा लिया था जिसकी फैक्ट्री से दो-तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात को गैस का रिसाव होने से हजारों लोगों की मौत हो गई थी। डॉव केमिकल का मुख्यालय अमेरिका के मिशिगन में है।
अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी ने दलील दी कि मामला भोपाल अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है जिसके बाद प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट विधान माहेश्वरी ने शनिवार को सुनवाई छह जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।
गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए काम करने वाले संगठनों के वकील अवि सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने कहा कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 2012 में क्षेत्राधिकार के मुद्दे पर फैसला कर दिया था और इस प्रकार, डॉव केमिकल को मामले में आरोपी बनाया जाना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और छत्तीसगढ़ के पूर्व महाधिवक्ता रवींद्र श्रीवास्तव और संदीप गुप्ता के नेतृत्व में वकीलों ने कंपनी का पक्ष रखा।
डॉव केमिकल का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मामला भोपाल अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है, क्योंकि बहुराष्ट्रीय कंपनी अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत संचालित होती है।
उन्होंने कहा, हमने अदालत के समक्ष यह भी कहा कि अधिकार क्षेत्र का मुद्दा उच्च न्यायालय ने तय नहीं किया है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन और अन्य संगठनों ने अपनी याचिकाओं में दलील दी है कि चूंकि डॉव केमिकल यूनियन कार्बाइड की मालिक है, इसलिए उसे आपराधिक मामले में आरोपी बनाया जाना चाहिए।