सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवजे की मांग वाली केंद्र की उपचारात्मक याचिका को खारिज कर दिया। अपनी उपचारात्मक दलील में केंद्र यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन द्वारा 1989 में एक समझौते में पहले से भुगतान किए गए 470 मिलियन डॉलर के अलावा और 7,844 करोड़ रुपये चाहता था। अमेरिकी फर्म भोपाल में संयंत्र ने अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस उगल दी थी। जिसमें 3,000 से अधिक मौतें हुई थी और जहरीली गैस ने हजारों को अपंग कर दिया।
इसे भी पढ़ें: Nicaragua में मूल निवासियों के समूह पर हमले में पांच लोगों की मौत, तीन घायल
जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने गैस रिसाव के पीड़ितों को मुआवजा दिलाने में “घोर लापरवाही” पर केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के पास पड़ी 50 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
इसे भी पढ़ें: मुंबई में झुग्गी बस्ती में आग लगी, एक व्यक्ति की मौत, परिवार हुए बेघर
दरअसल, भोपाल में हुई गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर का मुआवजा दिया था. पीडितों ने ज्यादा मुआवजे की मांग के साथ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। केंद्र ने 1984 की त्रासदी के पीड़ितों को कंपनी से 7,844 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजा दिलाने की मांग की थी। इसके लिए दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की गई थी।