भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए उचित अतिरिक्त मुआवजे की मांग को लेकर यहां नीलम पार्क में एक दिन पहले अनिश्चितकालीन निर्जला अनशन पर बैठी सभी 10 महिलाओं ने मध्यप्रदेश एवं केंद्र सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के बाद शनिवार शाम को अपना अनशन समाप्त कर दिया।
सन् 1984 की यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड गैस हादसे से पीड़ित इन 10 महिलाओं ने इस घटना में मर गये लोगों के परिवारों और घायलों के लिए उचित अतिरिक्त मुआवजे की मांग को लेकर यह अनशन शुरू किया था।
सत्याग्रह का नेतृत्व गैस पीड़ितों के पांच संगठनों के नेता कर रहे थे। इन संगठनों मेंभोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ, भोपाल गैस पीड़ित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा, भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन, भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा एवं डॉव कार्बाइड के खिलाफ बच्चे शामिल थे।
मालूम हो कि भोपाल शहर के बाहरी इलाके में स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के कीटनाशक संयंत्र से 1984 में दो-तीन दिसंबर की दरम्यानी रात मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव होने से 15,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
जहरीले रिसाव से पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित भी हुए।
इन संगठनों द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘भोपाल में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड हादसे के पीड़ितों के पांच संगठनों ने राज्य और केंद्र दोनों सरकारों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के बाद आज शाम 10 गैस पीड़ित महिलाओं का बिन पानी अनशन समाप्त कर दिया।’’
विज्ञप्ति के अनुसार आज दोपहर में पांचों संगठनों के नेताओं के साथ एक फोन कॉल में राज्य सरकार में भोपाल गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास मंत्री ने पीड़ित संगठनों द्वारा प्रस्तुत तथ्यों और आंकड़ों के साथ सहमति व्यक्त की और चार जनवरी 2023 को बैठक में सहमति को अंतिम रूप देने का वादा किया।
संगठनों ने यह भी कहा कि इससे पहले दोपहर में अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने संगठनों के वकील को आश्वासन दिया कि उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी दस्तावेजों को उन कागजातों में शामिल किया जाएगा जिन्हें अतिरिक्त मुआवजा के लिए सुधार याचिका पर सुनवाई कर रही उच्चतम न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
इसमें कहा गया है कि 10 गैस पीड़ित महिलाओं ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा दिए गए फलों का रस पीकर अपना 29 घंटे का बिन पानी का अनशन तोड़ा।