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बिहार की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी हो जातिगत जनगणना: भुजबल

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने बिहार की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी स्वतंत्र जातिगत जनगणना कराने की सोमवार को मांग की।
उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में इस तरह की कवायद से लोगों को लाभ हुआ है।
भुजबल ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे पत्र में यह मांग की और बिहार का उदाहरण दिया, जहां जाति आधारित जनगणना शुरू हो गई है।
बिहार में महागठबंधन सरकार ने शनिवार को जातियों का एक महत्वाकांक्षी सर्वेक्षण शुरू किया है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह कवायद समाज के सभी वर्गों के उत्थान के लिए मददगार साबित होगी।
भुजबल ने पत्र में कहा है कि महाराष्ट्र में जाति आधारित जनगणना की मांग काफी समय से लंबित है।
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से आने वाले एक प्रमुख नेता व पूर्व मंत्री भुजबल ने कहा कि 2010 में संसद सदस्यों समीर भुजबल, गोपीनाथ मुंडे और 100 अन्य सांसदों ने लोकसभा में जाति-आधारित जनगणना पर एक प्रस्ताव पेश किया था।
उन्होंने कहा कि इसके बाद 2011 से 2014 के बीच ग्रामीण व शहरी परिवारों की आर्थिक तथा सामाजिक स्थिति को लेकर एक जनगणना की गई थी, लेकिन केंद्र ने अभी तक उसके निष्कर्षों का खुलासा नहीं किया है।

उन्होंने कहा, “इसलिए, बिहार सरकार की तरह, राज्य (महाराष्ट्र) को एक स्वतंत्र (जाति आधारित) जनगणना करानी चाहिए।”
भुजबल ने कहा कि अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति की जनगणना पिछले 150 वर्ष से की जा रही है और इन वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाओं से संबंधित अलग से बजटीय आवंटन होता है।
उन्होंने कहा कि जातियों के बारे में सटीक आंकड़ों की जरूरत है।

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