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विपक्षी एकजुटता को बड़ा झटका! शिमला बैठक से पहले AAP की शर्त, केजरीवाल के पास क्या है दूसरा विकल्प

शुक्रवार को पटना में विपक्ष की बैठक से ठीक पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला बोला। बैठक में आप का शीर्ष एजेंडा दिल्ली अध्यादेश था, जिसके लिए वह सभी विपक्षी दलों से समर्थन मांग रही थी। उन्होंने गुरुवार को अल्टीमेटम दिया कि अगर कांग्रेस संसद के अंदर अध्यादेश पर समर्थन का वादा नहीं करती है तो आप नेता बैठक से बाहर चले जाएंगे। जब बैठक के बाद प्रेस वार्ता हुई तो उससे आप नेताओं ने अपनी दूरी बना ली। 

दावा किया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी दलों की बैठक में केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली को लेकर लाए गए अध्यादेश की चर्चा की और कांग्रेस से इस मुद्दे पर स्टैंड साफ करने को कहा। फिलहाल कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर आप के साथ खड़ी नजर नहीं आ रही है। इसी पर आम आदमी पार्टी अब कांग्रेस पर हमलावर हो गई हैं। आप का साफ तौर पर कहना है कि कांग्रेस को अध्यादेश को लेकर अपने स्टैंड क्लियर करना चाहिए। इतना ही नहीं, आप ने भाजपा के साथ कांग्रेस के मिलीभगत होने का आरोप लगा दिया। आप प्रवक्ता जैस्मिन शाह ने कहा कि विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि कांग्रेस राज्यसभा में इस अध्यादेश पर बीजेपी का समर्थन करेगी। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आप के लिए ऐसे किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनना मुश्किल हो जाएगा जिसमें कांग्रेस हो। 
 

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बड़ा सवाल यही है कि क्या केजरीवाल अकेले चलने की कोशिश कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल पटना में बैठक में भाग लिया। उनकी चाहत थी कि अन्य विपक्षी दल कांग्रेस पर अपना रुख नरम करने के लिए दबाव डालें। ऐसा हुआ भी। पर कांग्रेस फिलहाल अपना स्टैंड साफ नहीं कर रही है। यही कारण है कि केजरीवाल और आप के नेता प्रेस वार्ता से दूर रहे। आप ने साफ तौर पर कह दिया गया है कि अगर कांग्रेस ने अपना स्टैंड क्लियर नहीं किया तो वह शिमला बैठक से दूर रह सकती हैं। सूत्रों की मानें तो आज की बैठक में उमर अब्दुल्ला और अरविंद केजरीवाल के बीच नोकझोंक हुई। इसके अलावा कोषाध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और केजरीवाल के बीच भी तनातनी देखने को मिली। 

फिलहाल ऐसा लगता है कि केजरीवाल अकेले चलने के मूड में आ गए हैं। कांग्रेस से समर्थन नहीं मिलने के बाद वह और उनकी पार्टी फिलहाल विपक्षी एकता से दूरी बनाती हुई दिखाई दे रही है। ऐसे में केजरीवाल के पास सिर्फ और सिर्फ के चंद्रशेखर राव वाला विकल्प है। यानी कि अपने दम पर भाजपा से मुकाबला करना। पिछले कई सालों से वह ऐसा करते आ रहे हैं। केजरीवाल अब समान रूप से भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधेंगे। साथ-साथ अपनी पार्टी के संगठन को अलग-अलग राज्यों में से मजबूत करेंगे जैसा की चंद्रशेखर राव के पार्टी बीआरएस कर रही है। 
 

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आम आदमी पार्टी फिलहाल अलग रख राज्य में विस्तार के मूड में है। पार्टी की ओर से घोषणा किया जा चुका है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में वह चुनाव लड़ने जा रही है। इसके लिए केजरीवाल ने अलग-अलग राज्यों में प्रचार भी किया है। पंजाब के बाद हरियाणा में भी आम आदमी पार्टी अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही है। ऐसे नहीं कहा जा सकता है कि भले ही विपक्ष एकजुट होकर चुनाव लड़े। लेकिन अगर केजरीवाल अकेले दम पर मैदान में उतरने की कोशिश करेंगे तो विपक्षी दलों के लिए चुनौती और भी बड़ी हो सकती है। 

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