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Elon Musk के EVM वाले पोस्ट पर शुरु हुआ बड़ा विवाद, विपक्ष की चिंता के बाद भाजपा खारिज किया विचार

टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने एक्स पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों यानी ईवीएम के खिलाफ मोर्चा खोला है। ईवीएम के खिलाफ लिखे गए पोस्ट के बाद भारत में तेजी से राजनीतिक बहस शुरू हो गई है। हालांकि उनके पोस्ट का भारत से कोई संबंध नहीं था, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने ईवीएम पर भरोसे की चिंता जताई। यादव ने भी मस्क के पोस्ट को रीट्वीट किया है।

 इससे पहले दिन में इस साल के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर ने प्यूर्टो रिको के चुनावों पर चिंता जताई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि ईवीएम में कई गड़बड़ियां पाई गई हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि कागजी कार्रवाई हो चुकी थी, इसलिए अनियमितताओं को ठीक कर लिया गया। उन्होंने इसे अमेरिकी चुनावों से जोड़ते हुए कहा कि पेपर ट्रेल की अनुपस्थिति से बहुत सारी समस्याएं पैदा हो सकती हैं और उन्होंने पेपर बैलेट की वापसी की मांग की।

केनेडी जूनियर की इस पोस्ट को कोट करते हुए मस्क ने एक्स को बताया कि ईवीएम को ‘खत्म’ कर देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हैकिंग की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, चाहे वह इंसानों द्वारा हो या एआई द्वारा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मस्क के पोस्ट का इस्तेमाल करते हुए ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया। उन्होंने इन्हें ‘ब्लैक बॉक्स’ बताया और कहा कि इनकी जांच करने की कोई अनुमति नहीं है। भारत के चुनाव आयोग का नाम लिए बिना गांधी ने कहा कि जब ‘संस्थाओं में जवाबदेही का अभाव होता है’, तो ‘लोकतंत्र दिखावा बन जाता है।’

 सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि तकनीक समस्याओं को आसान बनाने के लिए होती है, लेकिन अगर तकनीक ही समस्या बन जाए तो इसका इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। भाजपा पर हमला करते हुए यादव ने कहा कि जब ईवीएम के खिलाफ वैश्विक आक्रोश है तो भगवा पार्टी इसके इस्तेमाल पर जोर क्यों दे रही है। सपा अध्यक्ष ने यह भी मांग की कि भारत में भविष्य में होने वाले सभी चुनावों में मतपत्रों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हालांकि, मस्क के जवाब में पूर्व इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने उनके बयान को “व्यापक सामान्यीकरण” करार दिया, और इस बात पर जोर दिया कि भारत की ईवीएम “कस्टम डिज़ाइन” हैं और उन्हें “पुनः प्रोग्राम” नहीं किया जा सकता है।

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