एक ओर पंजाब और हरियाणा के किसान केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश सरकार हड़ताल और आंदोलन के बीच सख्ती दिखाती नजर आ रही है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में 6 महीने के लिए हड़ताल पर पाबंदी लगा दी है। यह नियम राज्य सरकार के अधीन सरकारी विभाग, निगम और प्राधिकरण पर भी लागू रहेगा। इसको लेकर अपर मुख्य सचिव कार्मिश डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने एक नोटिफिकेशन भी जारी किया है।
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इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि एस्मा एक्ट लगने के बाद भी यदि कोई भी कर्मचारी हड़ताल या प्रदर्शन करते हुए पाया जाता है, तो हड़ताल करने वालों को एक्ट उल्लंघन के आरोप में बिना वारंट के ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। हालांकि. यह पहला मौका नहीं है जब राज्य में एस्मा एक्ट को लागू किया गया है। इससे पहले पिछले साल यानी 2023 में भी योगी सरकार ने हड़ताल और धरना प्रदर्शन पर कडा रुख अपनाते हुए राज्य में छह माह के लिए एस्मा एक्ट लागू किया था। उस समय राज्य में बिजली कर्मचारी हड़ताल पर थे।
आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (ईएसएमए) देश में बिजली आपूर्ति, परिवहन और चिकित्सा सेवाओं सहित आवश्यक सेवाओं के रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए 1968 में भारतीय संसद द्वारा पारित एक कानून है। यह कानून राज्य सरकारों को आवश्यक सेवाओं को बाधित करने वालों के खिलाफ गिरफ्तारी और मुकदमा चलाने सहित सख्त कार्रवाई करने का अधिकार देता है। ईएसएमए के तहत, हड़ताली कर्मचारियों को एक साल तक की कैद और/या जुर्माना हो सकता है। इस कानून की सबसे खास बात ये है कि इसे करीब 6 महीने तक भी लागू रखा जा सकता है।
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न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत विभिन्न मांगों को स्वीकार करने को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद आह्वान के मद्देनजर शुक्रवार को पंजाब में सड़कों से बसें नदारद रहीं, जिसके चलते यात्रियों को काफी असुविधा हुई। राज्य में कई स्थानों पर बाजार और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान भी बंद रहे। किसानों ने कई स्थानों पर प्रदर्शन किया और पठानकोट, तरनतारन, बठिंडा और जालंधर में राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया। उन्होंने अपनी मांगें नहीं मानने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।