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MCD चुनाव से पहले 900 करोड़ के स्कैम का बड़ा खुलासा, 2 लाख फर्जी रजिस्ट्रेशन, 65000 मोबाइल नंबर सेम, क्या है दिल्ली का मजदूर घोटाला?

दिल्ली में नगर निगम के चुनाव को लेकर 4 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे। एमसीडी पर कब्जे को लेकर बीजेपी, आप और कांग्रेस में घमासान जारी है। लेकिन एमसीडी में वोटिंग से पहले ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के एक के बाद एक घोटाला सामने आ रहे हैं। अब इसी क्रम में देश की राजधानी दिल्ली में पंजीकृत 50 फीसदी से ज्यादा निर्माण मजदूर फर्जी पाए गए हैं। दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने एक सर्वे में इस बात का खुलासा किया है। इसको लेकर भाजपा ने दिल्ली सरकार पर हमला बोला है। ऐसे में क्या है पूरा मामला आपको बताते हैं। 

दो लाख से अधिक फंजी रजिस्ट्रेशन 

एसीबी ने प्रथम दृष्टया 13,13,309 पंजीकृत निर्माण श्रमिकों में से दो लाख से अधिक को फर्जी पाया। इसके बाद इसने 800 को सैंपल साइज के रूप में लिया और उनमें से 424 को “फर्जी” पाया। उनमें कई समान मोबाइल नंबर और समान स्थानीय पते वाले और कुछ समान स्थायी पते वाले शामिल थे। प्रत्येक नंबर, जिनमें से अधिकांश या तो बंद थे या अमान्य थे। जवाब देने वालों ने कहा कि वे किसी नितिन को नहीं जानते हैं।”जब हमने लाभार्थियों से फोन पर संपर्क किया, तो वे या तो अलग-अलग रोजगार में थे या गृहस्थी में थे।

65 हजार के मोबाइल नंबर सेम 

बोर्ड के साथ रजिस्ट्रेशन करने के लिए आवेदक को नियोक्ता द्वारा सत्यापित फॉर्म के साथ एक रोजगार प्रमाण पत्र जमा करना होता है। एक अधिकारी ने कहा कि एक जैसे नंबर वाले कई लाभार्थियों की जांच करने पर पता चला है कि वे दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे थे और किसी निर्माण कार्य में शामिल नहीं रहे। 65 हजार ऐसे कंस्ट्रक्शन मजदूर ऐसे हैं, जिनका मोबाइल नम्बर एक ही है। दिल्ली श्रम विभाग में साल 2006 से 13 लाख से अधिक वर्कर्स की रजिस्ट्री हुई है। 2018 से इसमें 10 लाख रजिस्ट्री हुई हैं। इसको लेकर शिकायत आई है कि इसमें करोड़ों का घपला हो रहा है। आरोप है कि इसमें घोस्ट रजिस्ट्री हुई हैं।

 केजरीवाल सरकार ने खर्च किए थे 350 करोड़

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2 नवंबर 2022 को घोषणा की कि दिल्ली सरकार बोर्ड से पंजीकृत लगभग 10 लाख श्रमिकों को 5000 रुपए सहायता राशि देंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण को लेकर निर्माण कार्य पर रोक है, इसलिए ये सहायता राशि दी जा रही है। इस सहायता राशि पर 5000 करोड़ रुपए खर्च होंगे। पिछले साल कोविड के दौरान केजरीवाल सरकार ने इस मद से 350 करोड़ रुपए खर्च किए थे।

 

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