सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संसद सदस्यों निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ कथित तौर पर देवगढ़ के एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) को उनकी चार्टर्ड फ्लाइट को टेक-ऑफ करने की मंजूरी देने के लिए मजबूर करने का आपराधिक मामला खारिज कर दिया गया था। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने मामले को पुनर्जीवित करने की झारखंड सरकार की अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 441 (आपराधिक अतिक्रमण) और 336 (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना) के तहत ऐसा करने का कोई आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को संबंधित सामग्री को विमान अधिनियम के तहत एक अधिकृत अधिकारी को भेजने का निर्देश दिया ताकि यह जांच की जा सके कि इस कानून के तहत मामला उचित है या नहीं।
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दुबे, तिवारी और सात अन्य पर एटीसी पर उन्हें उड़ान भरने की अनुमति देने के लिए दबाव डालने का आरोप था। उच्च न्यायालय ने मार्च 2023 में उनके खिलाफ मामला यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह विमान अधिनियम की धारा 12बी के तहत चलने योग्य था। इसमें कहा गया है कि कोई अदालत अधिनियम के तहत तभी संज्ञान ले सकती है जब नागरिक उड्डयन महानिदेशक की लिखित मंजूरी के साथ शिकायत दर्ज की गई हो।
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दुबे और तिवारी ने तर्क दिया कि अधिनियम अपराधों की जांच के लिए विशेष अधिकारियों का प्रावधान करता है। जब एक विशेष कानून ने मामले को कवर किया तो उन्होंने आईपीसी प्रावधानों को लागू करने को चुनौती दी।