किसानों को वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य कृषि के लिए फसलों का विवधिकरण करने के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए बिहार सरकार राज्य में सुगंधित और औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा दे रही है।
राज्य कृषि विभाग ने लेमनग्रास, पामारोसा, शतावरी, तुलसी, शहतूत, खस, आंवला, बेल, इमली, कटहल, और नींबू के पौधे की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुदान सहायता दे रही है।
बिहार के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने शनिवार को पीटीआई-से कहा, ‘‘सरकार राज्य में सुगंधित और औषधीय पौधों की खेती में मदद करने के लिए किसानों को अनुदान सहायता और सब्सिडी दे रही है। बढ़ती स्वास्थ्य जागरूकता ने कृषि क्षेत्र में नवाचार के लिए बहुत सारे अवसर पैदा किए हैं।’’
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को इस अवसर का फायदा उठाने में मदद कर रही है और यही समय है जब बिहार के किसानों को धान की पारंपरिक खेती के बजाय वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य खेती का विकल्प चुनना चाहिए।
यह योजना मुख्य रूप से गया, जमुई, नवादा, पूर्वी चंपारण, सुपौल, पश्चिमी चंपारण, सहरसा, खगड़िया, वैशाली, कैमूर और रोहतास जिलों में उनकी विशिष्ट जलवायु परिस्थितियों के कारण लागू की जाएगी।
कृषि विभाग ने किसानों को लेमनग्रास, पामारोसा, शतावरी, तुलसी, खस और शहतूत की खेती के लिए 75,000 रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है। करौंदा, बेल, इमली, कटहल और नींबू के पौधों की खेती के लिए विभाग किसानों को प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की अनुदान सहायता देगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि औषधीय और सुगंधित पौधों और उनके प्रसंस्करण में तेजी आ रही है क्योंकि नए उद्यमी और युवा किसान बिहार को इस क्षेत्र के लिए अनुकूल राज्य मानते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा जोर कृषि उत्पादों के एकीकृत विकास, उत्पादन, कटाई के बाद का प्रबंधन, भंडारण और विपणन की बेहतर व्यवस्था करने पर है। इसके अलावा, आधुनिक नर्सरी की स्थापना की जा रही, कोल्ड स्टोरेज बनाये जा रहे हैं, और विपणन की सुविधा मुहैया की जा रही, ताकि किसानों को उचित लाभ प्राप्त हो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार का मकसद किसानों, खासकर छोटे और सीमांत किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करना है।