प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के दौरान फ्रांसीसी गणराज्य के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के साथ दोपहर के भोजन पर द्विपक्षीय बैठक की। दोनों नेताओं ने तब से द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति पर चर्चा, मूल्यांकन और समीक्षा की। उनकी आखिरी मुलाकात जुलाई, 2023 में पेरिस में हुई थी। उन्होंने महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय विकास पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रोन ने मिशन चंद्रयान 3 की भारत की सफलता पर प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी। दोनों नेताओं ने भारत-फ्रांस अंतरिक्ष सहयोग के छह दशकों को याद किया और जून 2023 में पहली रणनीतिक अंतरिक्ष वार्ता के आयोजन के बाद से प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने भारत-फ्रांस की मजबूत स्थिति को स्वीकार किया।
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दोनों नेताओं ने असैन्य परमाणु संबंध, जैतापुर परमाणु संयंत्र परियोजना के लिए चर्चा में अच्छी प्रगति और एसएमआर और एएमआर प्रौद्योगिकियों के सह-विकास के लिए साझेदारी स्थापित करने के लिए द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार करने के लिए दोनों पक्षों की निरंतर भागीदारी के साथ-साथ एक समर्पित घोषणा पत्र पर आगामी हस्ताक्षर का स्वागत किया। फ्रांस ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता के लिए अपना दृढ़ और अटूट समर्थन दोहराया। दोनों नेताओं ने उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्लेटफार्मों के डिजाइन, विकास, परीक्षण और निर्माण में साझेदारी के माध्यम से रक्षा सहयोग को मजबूत करने और इंडो-पैसिफिक और उससे आगे के तीसरे देशों सहित भारत में उत्पादन का विस्तार करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इस संदर्भ में, उन्होंने रक्षा औद्योगिक रोडमैप को शीघ्र अंतिम रूप देने का भी आह्वान किया।
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जी20 शिखर सम्मेलन शामिल होने आए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भारती की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन ने एकता का संदेश दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन यूक्रेन में न्यायसंगत और स्थायी शांति के लिए प्रतिबद्ध है। मैक्रॉन ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हूं। भारत ने जी-20 की अध्यक्षता के दौरान एकता और शांति का संदेश देने की पूरी कोशिश की, जबकि रूस अभी भी यूक्रेन पर अपनी आक्रामकता जारी रखे हुए है। इमैनुएल मैक्रॉन ने कहा कि हम वैश्विक शासन-विधि में गहन सुधार का समर्थन करते हैं। सुरक्षा परिषद के साथ-साथ विश्व बैंक और IMF को भी जनसांख्यिकी और अर्थव्यवस्था के संदर्भ में आज की वास्तविकता को प्रतिबिंबित करना होगा।