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Bilkis Bano: ‘महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के वादे खोखले हैं’, ओवैसी का PM मोदी पर तंज

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के बिलकिस बानो फैसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उनके वादे खोखले थे। बानो के बलात्कारियों को समय से पहले रिहा करने के लिए गुजरात सरकार को अदालत के कड़े शब्दों में जवाब का जिक्र करते हुए, ओवैसी ने दावा किया कि भाजपा सरकार ने राज्य में बलात्कारियों की मदद की।
 

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अपने बयान में ओवैसी ने कहा कि मैं पहले दिन से कह रहा हूं कि बीजेपी पीड़ित के साथ खड़े होने के बजाय हमेशा इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले अपराधियों के साथ खड़ी रही है। ये बिलकिस बानो ही हैं जिन्होंने इतनी बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अपनी जान की बाजी भी लगा दी। वही गुजरात सरकार जो उनकी रक्षा नहीं कर सकी, उन्होंने उन दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया जिन्होंने उनके साथ बलात्कार किया और उनके बच्चे की हत्या कर दी। उन्होंने कहा कि सभी बलात्कारियों को, चाहे वे किसी भी राजनीतिक विचारधारा के हों, एक कड़ा संदेश दिया जाना चाहिए कि उन्हें कोई छूट नहीं दी जाएगी।
ओवैसी ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि आप एक राजनीतिक विचारधारा की पुष्टि करते हैं, आपको मुक्त नहीं किया जाएगा। जब नरेंद्र मोदी नारी शक्ति की बात करते हैं तो यह खोखला दावा है। वे बिलकिस बानो के बलात्कारियों के साथ खड़े हैं। गुजरात और केंद्र में भाजपा सरकारों, दोनों ने इन लोगों को रिहा करने में मदद की – उन्हें बोलना चाहिए और बिलकिस बानो से माफी मांगनी चाहिए। असदुद्दीन ओवैसी ने यह भी बताया कि भाजपा के दो विधायकों ने 2022 में दोषियों की रिहाई का समर्थन किया था।
 

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उच्चतम न्यायालय ने गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा से छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को सोमवार को यह कहकर रद्द कर दिया कि आदेश ‘‘घिसा पिटा’’ था और इसे बिना सोचे-समझे पारित किया गया था। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भूइयां की पीठ ने दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश भी दिया। सजा में छूट को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य करार देते हुए पीठ ने कहा कि गुजरात सरकार सजा में छ्रट का आदेश देने के लिए उचित सरकार नहीं है। 

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