कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक के बेलगावी में आदिवासी महिला से मारपीट कर उसे निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले में राज्य सरकार की उदासीनता को लेकर विपक्षी भाजपा ने जिला मुख्यालयों में राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया। हम आपको बता दें कि 11 दिसंबर को बेलगावी के वंतामुरी गांव में बेटे के आदिवासी समुदाय की लड़की को लेकर भाग जाने के बाद महिला को एक खंभे से बांध दिया गया था। पुलिस ने इस मामले में आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया है जबकि आठ आरोपी फरार हैं। देखा जाये तो यह मामला अब राजनीतिक रूप से तूल पकड़ चुका है और विपक्षी भाजपा ने इस मुद्दे पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाया है।
कर्नाटक सरकार के लिए यह मामला तब और शर्मसार करने वाला विषय बन गया जब कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बेलगावी जिले के गांव में एक महिला को निर्वस्त्र घुमाने की घटना को ‘असाधारण मामला’ बताते हुए नाराजगी जाहिर की और कहा कि ‘‘इस मामले में सख्ती से निपटा जायेगा।’’ अदालत ने यह सवाल भी किया, ‘‘क्या हम 21वीं सदी में जा रहे हैं या 17वीं सदी में वापस लौट रहे हैं।’’ इस घटना पर नाराजगी जताते हुए उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘यह हम सभी के लिए शर्म की बात है। आजादी के 75 साल बाद भी हम इस तरह की स्थिति की उम्मीद नहीं कर सकते। यह हमारे लिए एक सवाल है कि क्या हम 21वीं सदी में जा रहे हैं या 17वीं सदी में वापस लौट रहे हैं?’’ उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘यह (घटना) आने वाली पीढ़ी को प्रभावित करेगी। क्या हम एक ऐसा समाज बना रहे हैं जहां हमें बेहतर भविष्य के सपने देखने का मौका मिले या हम एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जहां कोई यह महसूस करे कि जीने से बेहतर मर जाना है? जहां एक महिला के लिए कोई सम्मान नहीं है।’’ अदालत ने बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘एक खतरनाक संकेत जा रहा है कि कानून का कोई डर नहीं है। कानून का डर न होना बहुत परेशान करने वाली बात है।’’ अदालत ने महाधिवक्ता को यह बताने का भी निर्देश दिया था कि क्या पीड़ित महिला के लिए कोई मुआवजा योजना उपलब्ध है।
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दूसरी ओर, भाजपा की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि राज्य सरकार आठ फरार आरोपियों को पकड़ने में नाकाम रही है। इसके अलावा मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने पीड़िता से मिलकर उसे सांत्वना तक नहीं दी। इस बीच बेलगावी में चार सांसदों समेत भाजपा की पांच सदस्यीय तथ्यान्वेषण टीम ने पार्टी के नेताओं से मुलाकात की और पीड़िता व अधिकारियों से बात की। इसके बाद टीम ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि प्रशासन ने शुरू में मामले को गंभीरता से नहीं लिया। भाजपा सांसदों ने कहा कि पुलिस मामला दर्ज करने को तैयार नहीं थी और कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद सरकार हरकत में आई।