Breaking News

BJP के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा, नए आपराधिक कानून भारत की प्रगति और लचीलेपन के प्रतीक हैं

नयी दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को कहा कि नए आपराधिक कानून भारत की प्रगति और लचीलेपन के प्रतीक हैं जो देश को अधिक न्यायपूर्ण और सुरक्षित भविष्य के लिए तैयार करते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने एक संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल पर कहा कि 1860 और 1872 में लाए गए क्रमश: भारतीय दंड संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम पुराने हो चुके थे और समकालीन मुद्दों से निपटने के लिए अपर्याप्त थे। उन्होंने कहा, ‘‘आज हमारे आजाद देश भारत के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन है। 
एक विकसित होते समाज को ऐसे कानूनों की आवश्यकता है जो उसकी जरूरतों तथा मांगों को पूरा करे, उसके अधिकारों की रक्षा करे।’’ देश में सोमवार को तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए, जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में दूरगामी बदलाव आएंगे। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) में कुछ मौजूदा सामाजिक वास्तविकताओं और आधुनिक दौर के अपराधों को ध्यान में रखा गया है। इन तीनों कानून ने ब्रिटिश कालीन कानूनों भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। 
भाटिया ने नए कानूनों को भारत की प्रगति और लचीलेपन का एक प्रतीक बताया जो देश को अधिक न्यायपूर्ण व सुरक्षित भविष्य के लिए तैयार करते हैं। नए कानूनों की व्यापक प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कई अहम बदलावों का जिक्र किया। भाटिया ने कहा, ‘‘पहले के कानूनों में आतंकवाद की कोई परिनहीं थी जिससे अभियोजन तथा पुलिस के लिए आरोप लगाना तथा मामले को साबित करना मुश्किल होता था। नए कानूनों में आतंकवाद को परिभाषित किया गया है।’’ 
उन्होंने कहा कि इस स्पष्टता से आतंकवाद का खात्मा करने का भारत का संकल्प मजबूत होगा। भाटिया ने भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने को एक विशिष्ट अपराध के रूप में शामिल करने का भी जिक्र किया जिसमें मृत्युदंड तक का प्रावधान है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा, ‘‘महिलाओं तथा बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक अलग अध्याय है जो विशिष्टता सुनिश्चित करता है और अपराधियों को इन अपराधों को करने से रोकता है।’’ उन्होंने कहा कि नए कानूनों का उद्देश्य न्याय उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में तेजी लाना भी है। 
भाटिया ने कहा, ‘‘अगर आपराधिक मामलों में कोई फैसला सुरक्षित रखा जाता है तो उस पर 45 दिन के भीतर निर्णय देना होगा।’’ उन्होंने कहा कि यह प्रावधान न्यायिक सेवानिवृत्ति और पीठों के पुनर्गठन से होने वाली देरी से निपटता है जिससे सभी के लिए समय पर न्याय सुनिश्चित होता है। इन कानूनों के व्यापक सामाजिक असर पर बात करते हुए भाटिया ने कहा कि नए कानून इस तथ्य का प्रतीक हैं कि एक नया, लचीला भारत हमारे सांसदों द्वारा विधिवत अधिनियमित कानूनों को अपनाने के लिए तैयार है। 
विपक्ष पर निशाना साधते हुए भाटिया ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि उन्होंने तीनों कानूनों को पढ़ा तक नहीं है, ठीक उसी तरह जैसे वे अपने हाथों में संविधान की प्रति तो लेते हैं लेकिन उसको पढ़ने की परवाह नहीं करते।’’ उन्होंने कहा कि पूरा देश नए आपराधिक कानूनों को अपनाने और उनका स्वागत करने के लिए आगे आया है।

Loading

Back
Messenger