नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि 2019 में जम्मू कश्मीर का विभाजन होने के बाद भाजपा ने कारगिल के लोगों के समक्ष खड़े होने का अपना नैतिक आधार खो दिया है।
उन्होंने चार अक्टूबर को होने वाले लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद-कारगिल चुनाव से पहले एक रैली को संबोधित करते हुए, मुस्लिम समुदाय को प्रतिनिधित्व नहीं देने और लोकसभा में मुस्लिम विरोधी भाषण को लेकर सांसद रमेश बिधूड़ी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें चुनावी राज्य राजस्थान के टोंक जिले का प्रभारी बनाये जाने को लेकर भाजपा की आलोचना की।
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘वे मुसलमानों के खिलाफ खुलकर अपनी नफरत प्रकट कर रहे हैं।
उन्हें वोट मांगने के लिए यहां आने से पहले सवालों का जवाब देने की जरूरत है। उन्होंने लोगों के समक्ष खड़े होने का नैतिक आधार खो दिया है।’’
उन्होंने चुनाव में शानदार जीत मिलने का विश्वास जताते हुए कहा, ‘‘लद्दाख से नेकां का सफाया करने की कोशिश की गई और यहां तक कि भाजपा सांसद (जे शेरिंग नामगयाल) ने दावा किया कि उन्होंने पार्टी (नेकां) के चुनाव चिह्न (हल) को उखाड़ फेंका है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह इतना आसान नहीं है और जल्दबाजी में नहीं किया जा सकता क्योंकि कारगिल के लोगों का कश्मीर के लोगों के साथ सदियों पुराना पारिवारिक और रक्त संबंध है।’’
नेकां और कांग्रेस साथ मिलकर यह चुनाव लड़ रही है।
अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि उन्हें कारगिल के रास्ते में अधिकारियों के निर्देश पर ‘जीरो प्वाइंट’ पर अपनी सुरक्षा छोड़नी पड़ी थी। वह जनसभा को संबोधित करने जा रहे थे। उनके साथ उनके दो बेटे और पार्टी के वरिष्ठ सहकर्मी भी थे।
उन्होंने कहा, ‘‘यह पहली बार था कि मुझे जीरो प्वाइंट पर अपनी सुरक्षा छोड़नी पड़ी। मुझे कोई शिकायत नहीं है क्योंकि मैं जानता हूं कि वे (भाजपा) घबरा रहे हैं। मैं जानता हूं कि लोग हमारे साथ हैं और हमें अल्लाह पर पूरा भरोसा है।