भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य लहर सिंह सिरोया ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने चेन्नई में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन से मिलकर बेंगलुरु में बढ़ते जल संकट की जानकारी देने के लिए 48 घंटे तक इंतजार किया लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो सकी।
कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी के जल को लेकर चल रहे विवाद के बीच सिरोया ने कहा कि वह सद्भावना मिशन के तहत चेन्नई गए थे, न कि राजनीतिक उद्देश्य से लेकिन उनकी स्टालिन से मुलाकात नहीं हो सकी।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के अन्य नेताओं के साथ बैठक ‘बहुत ही सकारात्मक’ रही।
सिरोया ने कहा, ‘‘मैं चेन्नई गया था और दो दिन तक मुख्यमंत्री स्टालिन से मुलाकात करने की कोशिश की। मेरा दौरा सद्भावना मिशन के तहत था और इसका राजनीति से कोई सरोकार नहीं था। मैं वहां तमिलनाडु से आग्रह करने गया था कि वह कावेरी मुद्दे को मानवीय आधार पर देखे, न कि क्षेत्रीय विवाद के तौर पर। दुर्भाग्य से 48 घंटे तक इंतजार करने के बावजूद एम. के. स्टालिन से मुलाकात नहीं हो सकी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, मेरी वरिष्ठ द्रमुक सांसदों और तमिलनाडु के नेताओं से मुलाकात बहुत ही सकारात्मक रही और उन्होंने मेरे सुझाव सुने तथा सकारात्मक दिखे कि कर्नाटक और तमिलनाडु सरकार बातचीत से रास्ता निकाल सकती हैं।’’
सांसद ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अगर कर्नाटक और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री चर्चा करें तो इस संकट का सौहार्दपूर्ण समाधान निकल सकता है।
उन्होंने दोहराया कि कर्नाटक के किसानों और बेंगलुरु की पेयजल जरूरत को देखते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार को स्टालिन से मिलने की कोशिश करनी चाहिए और समाधान पर चर्चा करनी चाहिए।
कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी का पानी छोड़ने का निर्देश दिए जाने बाद दक्षिण के दोनों राज्यों के बीच नए सिरे से गतिरोध पैदा हो गया है।