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BJP बोली- हम Maharaja Hari Singh के खिलाफ विद्रोह करने वालों को शहीद नहीं मानते, PDP और Hurriyat नेता भड़के

जम्मू-कश्मीर में 1931 के शहीदों के मुद्दे पर जमकर राजनीति हो रही है। इस मुद्दे को लेकर राज्य विधानसभा से लेकर सड़कों तक पर राजनीतिक दलों के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है। हम आपको बता दें कि श्रीनगर केंद्रीय कारागार के बाहर, 1931 में डोगरा महाराजा के सैनिकों की गोलीबारी में 22 लोगों की जान चली गई थी। महाराजा हरि सिंह के खिलाफ विद्रोह के दौरान 13 जुलाई 1931 को डोगरा सेना के सैनिकों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई को सार्वजनिक अवकाश होता था और राज्यपाल या मुख्यमंत्री श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में एक आधिकारिक समारोह में शहीदों को श्रद्धांजलि देते थे। वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद इस अवकाश को समाप्त कर दिया गया और अब आधिकारिक समारोह आयोजित नहीं किए जाते।
इस मुद्दे को उठाते हुए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के विधायक वहीदुर्रहमान पारा ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती पर पांच दिसंबर को पुन: अवकाश देने के साथ-साथ 13 जुलाई को भी सार्वजनिक अवकाश बहाल करने की मांग की। उपराज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के लिए हुई चर्चा में पीडीपी विधायक पारा ने ऐसे समय में भाग लिया जब उस दौरान नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला सदन की कार्यवाही देखने के लिए दर्शक दीर्घा में मौजूद थे। पारा ने इस दौरान 13 जुलाई, 1931 को हुई घटना तथा नेकां के संस्थापक द्वारा दिये गये योगदान के महत्व का जिक्र करते हुए दोनों अवकाश को पुन: बहाल करने की मांग की। पारा ने कहा, ‘‘उन्होंने निरंकुशता के खिलाफ और लोकतंत्र के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है। सदन को, पार्टी संबद्धता और विचारधारा से परे 13 जुलाई की छुट्टी को बहाल करने के लिए एक साथ आना चाहिए और शेख अब्दुल्ला की छुट्टी को भी उनके राजनीतिक कद और योगदान को देखते हुए बहाल करना चाहिए।’’

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भाजपा नेता सुनील शर्मा ने पारा के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और 13 जुलाई को अवकाश बहाल करने का विरोध किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं पारा की पार्टी के प्रदर्शन (विधानसभा चुनावों में) के बाद उनके दर्द को समझ सकता हूं। आप महाराजा (हरि सिंह) के राज्य का आनंद ले रहे हैं…’’ शर्मा के इस बयान के बाद नेकां, पीडीपी सहित निर्दलीय विधायकों ने विरोध जताया तथा दोनों ओर से नारेबाजी शुरू हो गई। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सदस्य एमवाई तारिगामी और कांग्रेस नेता निजामुद्दीन भट ने भी 1931 के ‘शहीदों’ के खिलाफ की गई टिप्पणियों को सदन की कार्यवाही से हटाने तथा नेता प्रतिपक्ष के माफी मांगने की मांग की। बाद में विधानसभा अध्यक्ष ने ‘‘अपमानजनक टिप्पणी’’ को सदन की कार्यवाही से हटाने की घोषणा की, जिसके बाद भाजपा के सभी 28 सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए। 
इस पर विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह उनकी गलत धारणा है कि कश्मीर में शांति नकली है। आतंकवाद अपनी अंतिम सांसें ले रहा है जबकि अलगाववाद और जमात दफन हो चुके हैं…’’ उन्होंने कहा कि भाजपा 1931 में महाराजा के खिलाफ हुए विद्रोह में मारे गए लोगों को शहीद नहीं मानती। शर्मा ने कहा, ‘‘महाराजा एक न्यायप्रिय राजा थे और जिसने भी उनके खिलाफ विद्रोह किया वह देशद्रोही है और हमें उन पर (हरि सिंह) गर्व है। वे 2010 और 2016 में अपने शासन में मारे गए लोगों के लिए आंसू क्यों नहीं बहा रहे हैं?’’
वहीं इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने भी विपक्ष के नेता सुनील शर्मा पर निशाना साधा है। मीरवाइज ने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर लिखा, ‘‘विधानसभा में भाजपा सदस्य द्वारा 13 जुलाई, 1931 के शहीदों के संबंध में की गई अपमानजनक टिप्पणी की कड़ी निंदा करता हूं, जो उत्पीड़न के शिकार जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों और सम्मान के लिए खड़े होने की वजह से बेरहमी से मारे गए थे।’’ उन्होंने कहा कि 1931 के शहीदों का जम्मू-कश्मीर में हर कोई सम्मान करता है और उन्हें बदनाम करने के किसी भी प्रयास का विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में हर शख्स इनकी शहादत का सम्मान करता है और ये शहीद कश्मीर के लोगों द्वारा उनके अधिकारों की रक्षा के लिए दिए गए महान बलिदानों की हमारी सामूहिक स्मृति का हिस्सा हैं। उन्हें बदनाम करने के किसी भी प्रयास का दृढ़ता से विरोध किया जाएगा।’’ 
वहीं PDP नेता इल्तिजा मुफ्ती ने कहा, “उन्हें (शहीदों को) गद्दार बुलाना गलत है।” उन्होंने कहा कि भाजपा हमेशा हमारे सामूहिक इतिहास और स्मृति को मिटाने की कोशिश करती है। यह हमें स्वीकार्य नहीं है… हम ऐसी सभी कोशिशों को विफल करेंगे… हम चाहते हैं कि सुनील शर्मा जम्मू-कश्मीर के लोगों से माफी मांगें।”

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