हरियाणा में 05 अक्तूबर 2024 को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने हैं। ऐसे में मतदान के लिए अब 4 सप्ताह से भी कम का समय बचा है। ऐसे में राज्य की सभी मुख्य राजनीतिक पार्टियां पूरे जोश के साथ चुनावी रण में हैं। वहीं भाजपा भी हरियाणा में अपनी पैठ बनाने की जुगत में जुटी है। लेकिन राज्य में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति को कमजोर आंका जा रहा है। इसकी एक वजह यह भी है कि हरियाणा में लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भाजपा सिर्फ 5 सीटें जीत सकी थी। वहीं 5 सीटें कांग्रेस पार्टी ने जीती थी।
लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस राज्य में अति उत्साहित नजर आ रही है। साथ ही साल 2014 के बाद कांग्रेस पहली बार बीजेपी से मुकाबले के टक्कर में दिखी। भारतीय जनता पार्टी राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान 40 सीटों पर सिमट गई थी। वहीं भाजपा के लिए एक चिंता यह भी है कि जाट वोटबैंक लगातार पार्टी के खिलाफ वोट करता आ रहा है, लेकिन अब यह पहले से कहीं ज्यादा ध्रुवीकरण की तरफ बढ़ रहा है।
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हालांकि भारतीय जनता पार्टी को उम्मीद है कि जेजेपी और आईएनएलडी जैसे दलों के उतरने से जाट वोटबैंक बट जाएंगे। भले ही जाट वोटबैंक बड़े पैमाने पर एकजुट हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर बिरादरी का प्रत्याशी मैदान में उतारने का असर साफ दिखता है। इसलिए भाजपा को ऐसी कई सीटों पर उम्मीद की किरण दिख रही है। रेवाड़ी, फरीदाबाद, गुरुग्राम और अंबाला व कुरुक्षेत्र में बड़ी संख्या में बाहरी आबादी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी को खुद के बलबूते पर बहुमत मिलने की उम्मीद काफी कम नजर आ रही है। लेकिन भाजपा के पहले नंबर की पार्टी बनने के अब भी चांस हैं। इसके अलावा राज्य में पार्टी से बगावत करने वाले नेताओं के भी नाम सामने आ रहे हैं, जो टिकट न मिलने पर पार्टी से नाराज हैं। ऐसे में यह इस बात का सबूत है राज्य में पार्टी कमजोर पड़ रही है। हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के आने से भाजपा वैसे भी बैकफुट पर थी। ऐसे में पार्टी में जान भरने के लिए 14 सितंबर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रचार अभियान की शुरुआत कर सकते हैं।