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झारखंड में आगामी चुनावों के मद्देनजर भाजपा ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। राज्य की वर्तमान सरकार को सत्ता से हटाने के लिए भारतीय जनता पार्टी आक्रामक रवैया अपनाती नजर आ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को एक बार राज्य का दौरा कर चुके हैं। इसके अलावा चुनावों में अपने अभियान को तेज करने के लिए भाजपा अपने राजनीतिक दिग्गजों का समर्थन जुटा रही है।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा जैसे अनुभवी राष्ट्रीय नेताओं ने आगे आकर पार्टी के लिए वोट मांगना शुरू कर दिया है। इनके अलावा बाबूलाल मरांडी, अमर बाउरी, अर्जुन मुंडा, बिद्युत बरन महतो, दीपक प्रकाश, मनीष जायसवाल, ढुल्लू महतो और हाल ही में भाजपा में शामिल हुए चम्पाई सोरेन जैसे कई दिग्गज और प्रभावशाली नेता चुनावी तैयारी में लगे हैं।
झारखंड के विधानसभा चुनावों में भाजपा की स्थिति मजबूत दिखाई दे रही है क्योंकि इस बार उनके पाले में राज्य के कई नामी नेता है। इसके अलावा भाजपा राज्य में अपना मजबूत करने के लिए सत्ता में बैठी जेएमएम सरकार की कमियों के बारे में खूब बातें कर रही है ताकि आगामी चुनावों से पहले अपने समर्थकों को संगठित किया जा सके और उनका समर्थन हासिल हो।
हेमंत सरकार के कामों की आलोचना करना भाजपा का मुख्य टारगेट
इस बार के चुनावी अभियान में भाजपा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झामुमो सरकार पर जमकर वार करने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। झामुमो के शासन में झारखंड लगातार उच्च बेरोजगारी, अवरूद्ध बुनियादी ढांचे के विकास और व्यापक भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रहा है। भााजपा ने इन्ही कमियों को जनता के सामने लाने के लिए ‘मिला क्या’ और परिवर्तन संकल्प यात्रा जैसे चुनावी मुहिम की शुरुआत की है।
भाजपा की चालें
भाजपा इस बार पूरा फोकस जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत करने पर कर रही है। पार्टी के दिग्गज नेता स्थानीय समुदायों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ता मतदाताओं से सीधे जुड़ने के लिए रैलियों और बैठकों का आयोजन कर रहे हैं। इस रणनीति का उद्देश्य एक मजबूत समर्थन आधार बनाना है जो क्षेत्र में जेएमएम के प्रभुत्व को चुनौती दे सके। इसके अलावा पार्टी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भी काफी इस्तेमाल कर रही हैं। डिजिटल टूल का उपयोग करके भाजपा व्यापक दर्शकों तक पहुंचने और अधिक समर्थकों को प्रेरित करने की उम्मीद करते हैं। पार्टी के ऑनलाइन अभियान उनकी उपलब्धियों को उजागर करने और वर्तमान सरकार की विफलताओं की आलोचना करने पर केंद्रित हैं।
खतरे में हेमंत सोरेन की सत्ता!
राजनीतिक एक्सपर्ट की मानें तो झारखंड के आगामी चुनावों में भाजपा और जेएमएम के बीच कांटे की टक्कर होने वाली है। जमीनी स्तर की बात करें तो वर्तमान सरकार से जनता नाराज है। हेमंत सरकार भ्रष्टाचार के घोटालों में घिरने के बाद से विवादों में हैं, जिससे उनके मतदाता और ज्यादा अलग-थलग हुए पड़े हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि हेमंत सोरेन कैसे सत्ता में वापसी करेंगे। झामुमो जो लंबे वक्त से अपने आदिवासी वोट बैंक पर निर्भर रहा है, इस बार वे भी बांग्लादेशी घुसपैठ मामले को लेकर हेमंत सरकार से खफा हैं। वहीं भाजपा आदिवासी सीमाओं से परे व्यापक सामाजिक गठबंधन बनाने के लिए काम कर रही है। पार्टी खुद को एक सर्व-समुदाय विकल्प के रूप में स्थापित करने पर लगी है।