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भाजपा की पंजाब इकाई ने एसवाईएल मुद्दे पर आप सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया

भाजपा की पंजाब इकाई ने शनिवार को सतलुज यमुना लिंक नहर के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया और राज्य की आम आदमी पार्टी नीत सरकार पर नदी जल में राज्य के हितों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
विपक्षी दल ने जोर देकर कहा कि पंजाब के पास किसी अन्य राज्य के साथ बांटने के लिए पानी नहीं है।
भाजपा की पंजाब इकाई के प्रमुख सुनील जाखड़ के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के आधिकारिक आवास के पास विरोध प्रदर्शन किया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला, पूर्व सांसद अविनाश राय खन्ना, लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष चरणजीत सिंह अटवाल और पूर्व मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
पुलिस ने उन्हें मुख्यमंत्री आवास की ओर जाने की अनुमति नहीं दी और बाद में पुलिस ने भाजपा नेताओं को हिरासत में ले लिया।

जाखड़ ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया कि भगवंत मान नीत सरकार ने एक गहरी साजिश के तहत सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के मुद्दे पर पंजाब के लोगों की पीठ में छुरा घोंपा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने एसवाईएल मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में पंजाब के रुख को ‘‘कमजोर’’ किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि शीर्ष अदालत में राज्य सरकार ने कहा कि वह नहर बनाने के लिए तैयार है, लेकिन विपक्षी दल और किसान इसका विरोध कर रहे हैं।
जाखड़ ने आप सरकार पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘लेकिन मान सार्वजनिक रूप से कहते रहे कि किसी अन्य राज्य के साथ साझा करने के लिए पानी की एक बूंद भी नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मान सरकार ने पंजाब और पंजाब के हितों के साथ विश्वासघात किया। उन्होंने पंजाब के पानी को लेकर (राज्य के हित) के साथ खिलवाड़ किया।

एक साजिश के तहत, उन्होंने पंजाब का कमजोर रुख पेश किया, जिसके कारण शीर्ष अदालत को यह निर्देश देने पड़े।’’
जाखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री को राज्य के हितों के साथ ‘धोखा करने’ के लिए पंजाब के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मान को मुख्यमंत्री बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब का पानी सुरक्षित है और पानी की एक बूंद भी राज्य से बाहर नहीं जाने दी जाएगी।’’
भाजपा नेता ने राज्य में ‘‘बिगड़ती’’ कानून-व्यवस्था को लेकर भी आप सरकार की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘राज्य में केवल गैंगस्टर ही सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।’’
इससे पहले, भाजपा की पंजाब इकाई ने पार्टी मुख्यालय में कोर कमेटी की बैठक की और एसवाईएल के मुद्दे पर चर्चा की।

इससे पहले, चार अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से कहा कि वह पंजाब में जमीन के उस खंड का सर्वेक्षण करे, जो राज्य में एसवाईएल नहर के हिस्से के निर्माण के लिए आवंटित किया गया था, और वहां किस हद तक निर्माण किया गया है, उसका अनुमान लगाए।
एसवाईएल नहर की परिकल्पना रावी और ब्यास नदियों से पानी के प्रभावी आवंटन के लिए की गई थी। इस परियोजना में 214 किलोमीटर लंबी नहर की परिकल्पना की गई थी, जिसमें से 122 किलोमीटर का हिस्सा पंजाब में और शेष 92 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा में बनाया जाना था।
हरियाणा ने अपने क्षेत्र में परियोजना पूरी कर ली है, लेकिन पंजाब में 1982 में निर्माण कार्य शुरू हुआ था, लेकिन बाद में इसे रोक दिया गया।

एसवाईएल पिछले कई वर्षों से पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद का विषय बना हुआ है। पंजाब का कहना है कि रावी और ब्यास नदियों से बहने वाले पानी की मात्रा काफी कम हो गई है और इसलिए वह पानी की मात्रा के पुनर्मूल्यांकन की मांग कर रहा है।
हरियाणा अपने हिस्से का 35 लाख एकड़ फुट पानी पाने के लिए नहर को पूरा करने की मांग कर रहा है।
पिछले साल शीर्ष न्यायालय ने दोनों मुख्यमंत्रियों को बैठक कर एसवाईएल नहर विवाद का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने के लिए कहा था। हालांकि, पंजाब के मुख्यमंत्री मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच इस मुद्दे पर कोई प्रगति नहीं हो पायी।

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