पिछले साल अक्टूबर में लद्दाख में माउंट कुन पर हिमस्खलन में 38 कर्मियों वाली सेना की टुकड़ी फंसने के बाद तीन सैनिक लापता हो गए थे। घटना के नौ महीने बाद सेना ने तीनों जवानों के शव बरामद किये थे। इन सैनिकों को वापस लाने के ऑपरेशन का नेतृत्व हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल (HAWS) के डिप्टी कमांडेंट ब्रिगेडियर एसएस शेखावत ने किया था। एक अनुभवी पर्वतारोही ब्रिगेडियर शेखावत तीन बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ चुके हैं और भारतीय सेना के सबसे कठिन ऑपरेशनों में से एक के लिए कीर्ति चक्र के प्राप्तकर्ता हैं। उन्होंने ऑपरेशन आरटीजी को अपने जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण मिशन बताया।
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उन्होंने बताया कि ‘लगातार नौ दिनों तक, हर दिन 10-12 घंटे 18,700 फीट की ऊंचाई पर खुदाई की गई।’ टनों बर्फ और बर्फ हटा दी गई। टीम पर शारीरिक और मानसिक प्रभाव बहुत अधिक था, जिससे उनके लचीलेपन की कड़ी परीक्षा हो रही थी। कठिन परिस्थितियों के बावजूद, ब्रिगेडियर शेखावत ने शहीद सैनिकों की सफलतापूर्वक वापसी पर गहरी उपलब्धि की भावना व्यक्त की।
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उन्होंने कहा कि शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से यह मेरे जीवन का सबसे कठिन मिशन रहा है।” उन्होंने कहा, लेकिन मैं संतुष्ट हूं कि हमने उन्हें वापस पा लिया है। राहुल का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया है। ठाकुर और गौतम को उनके रिश्तेदारों के पास भेजा जा रहा है, जहां उन्हें उचित अंतिम संस्कार मिलेगा जिसके वे हकदार हैं।