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यूपी में ’तेरा माफिया-मेरा माफिया’ पर भिड़े राजनैतिक दलों के आका

अपराधियों-आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता है। यह पूरी मानवता के दुश्मन होते हैं। अक्सर ही किसी आतंकवादी या अपराधी के पकड़े या मुठभेड़ में मारे जाने के बाद यदि कोई अपराधी अथवा आतंकवादी की जाति-धर्म के आधार पर उसके धर्म और कौम पर उंगली उठाता है तो इसका काफी विरोध होता है, लेकिन समय के साथ अब यह बात बेईमानी साबित होने लगी है। अब किसी आतंकवादी-अपराधी के पकड़े या मारे जाने पर उसकी जाति-धर्म देखकर यह तय किया जाता है कि इस पर कितना बोलना है और कितना चुप रहना है। कुल मिलाकर अब अपराधियों और आतंकवादियों की भी धर्म और कौम से जुड़ी एक पहचान बन गई है। इसी लिए जब खूंखार अपराधी विकास दुबे मुठभेड़ में मारा जाता है तो उसकी पहचान को ब्राहमणों से जोड़ दिया जाता है। अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी पर जब कार्रवाई होती है तो इसे मुसलमानों पर अत्याचार बताकर प्रचारित किया जाता है। इस खेल में सभी राजनैतिक दलों के नेता अपनी सियासी रोटियां सेंकते नजर आते हैं। ऐसी ही ‘रोटियां’ अतीक अहमद के बेटे असद के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद से की जा रही है।  समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव बार-बार बता रहे हैं कि योगी सरकार अपराधियों के खिलाफ दोहरा रवैया अख्तियार करती है। ‘सरकार’ अपने स्वजातीय अपराधियों को तो बचाती है अन्य के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करती है। पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस एनकाउंटर के बाद ट्वीट करते हुए लिखा है कि झूठे एनकाउंटर करके भाजपा सरकार सच्चे मुद्दों से ध्यान भटकाना चाह रही है। भाजपाई न्यायालय में विश्वास ही नहीं करते हैं। असद सहित हालिया एनकाउंटरों की भी गहन जाँच-पड़ताल हो व दोषियों को छोड़ा न जाए। सही-गलत के फ़ैसलों का अधिकार सत्ता का नहीं होता है। भाजपा भाईचारे के खिलाफ़ है।

उधर, बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि प्रयागराज के अतीक अहमद के बेटे व एक अन्य की आज पुलिस मुठभेड़ में हुई हत्या पर अनेकों प्रकार की चर्चायें गर्म हैं। लोगों को लगता है कि विकास दुबे काण्ड के दोहराए जाने की उनकी आशंका सच साबित हुई है। अतः घटना के पूरे तथ्य व सच्चाई जनता के सामने आ सके इसके लिए उच्च-स्तरीय जाँच जरूरी। एआईएमआईएम चीफ और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अतीक अहमद के बेटे असद के एनकाउंटर पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहाकि बीजेपी महजब के नाम पर एनकाउंटर करती है। कोर्ट और जज किस लिए हैं। अदालतों को बंद कर दो। क्या बीजेपी वाले जुनैद और नासिर के मारने वालों को भी गोली मारेंगे, नहीं क्योंकि मजहब के नाम पर एनकाउंटर करते हैं।

बात यहीं तक सीमित नहीं है। माफिया अतीक अहमद के बेटे असद अहमद की मुठभेड़ में मौत के बाद समाजवादी पार्टी के मीडिया प्रकोष्ठ ने तो एक सूची तक जारी की है। इस सूची के माध्यम से सपा ने योगी सरकार से कई सवाल पूछे हैं। इसमें सवाल करते हुए जानना चाहा है कि क्या ये (सूची में जो नाम शामिल है) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘खासमखास’ हैं? वहीं ये भी आरोप लगाया है कि ये सब अपराधी योगी जी के स्वजातीय हैं। बता दें समाजवादी पार्टी के मीडिया प्रकोष्ठ ने एक ट्वीट में एक लिस्ट जारी करते हुए लिखा है कि ये सब क्या योगी जी के खासमखास हैं? दरअसल ये सब योगी जी के स्वजातीय हैं। इसीलिए अभी तक बचे भी हुए हैं और अपराध भी कर रहे और गिरोह भी चला रहे और हत्या, बलात्कार, लूट, डकैती, वसूली, रंगदारी कर रहे हैं। ट्वीट में एक नोट जोड़ते हुए कहा है, नोट- लिस्ट पुरानी है, लेकिन इसमें ज्यादातर अपराधी भाजपा समर्थित हैं और सक्रिय हैं। दरअसल, समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल ने अतीक अहमद के बेटे असद और उसके साथी गुलाम की झांसी में पुलिस मुठभेड़ में मौत के एक दिन बाद यह सूची जारी की है। आपको बता दें, इस सूची में सबसे ज्यादा अपराध ब्रजेश सिंह पर दिखाया गया है। ब्रजेश सिंह की गिनती पूर्वांचल के बड़े माफिया में होती है। मुख्तार अंसारी से उसकी अदावत तीन दशक से चल रही है। ब्रजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह वाराणसी से बीजेपी के सहयोग से एमएलसी हैं और भतीजा सुशील सिंह चंदौली की सकलडीहा सीट से भाजपा से विधायक है। इस सूची में कुलदीप सिंह सेंगर (उन्नाव, 28 मामले), बृजेश सिंह (वाराणसी, 106 मामले), धनंजय सिंह (जौनपुर, 46 मामले), राजा भैया (रघुराज प्रताप सिंह) (प्रतापगढ़, 31 मामले), उदयभान सिंह (भदोही, 83 मामले), अशोक चंदेल (हमीरपुर, 37 मामले), विनीत सिंह (चंदौसी, 34 मामले), बृजभूषण सिंह (गोंडा, 84 मामले), चुलबुल सिंह (वाराणसी, 53 मामले), सोनू सिंह (सुल्तानपुर, 57 मामले), मोनू सिंह (सुल्तानपुर, 48 मामले), अजय सिंह सिपाही (मिर्जापुर, 81 मामले), पिंटू सिंह (बस्ती, 23 मामले), सन्नी सिंह (देवरिया, 48 मामले), संग्राम सिंह (बिजनौर, 58 मामले), चुन्नू सिंह (महोबा, 42 मामले) और बादशाह सिंह (महोबा, 88 मामले) शामिल हैं।

सपा ने यह भी आरोप लगाया कि 2005 में बहुजन समाज पार्टी के तत्कालीन विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या भी भाजपा के लोगों ने कराई थी। समाजवादी पार्टी के मीडिया प्रकोष्ठ ने एक ट्वीट में कहा कि उमेश पाल की हत्या भाजपा के लोगों ने की है। भाजपा को (चल रही) शहरी स्थानीय निकायों में वोटों के धु्रवीकरण का तत्काल मौका मिल सकता है। इस हत्या के बहाने चुनाव और साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने के लिए। लेकिन कोई भी भाजपा नेता, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, बख्शा नहीं जाएगा। एक अन्य ट्वीट में, सपा के मीडिया सेल ने कहा कि कथित मुठभेड़ की एक दिन जांच की जाएगी और सच्चाई सामने आ जाएगी। पार्टी ने पिछले महीने अतीक अहमद की बहन आयशा नूरी द्वारा लगाए गए आरोप का भी उल्लेख किया कि प्रयागराज की मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी ने उमेश पाल को मारने की साजिश रची थी। आरोप के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया गया ताकि इस गैस्टर-राजनेता की पत्नी शाइस्ता परवीन अगला मेयर का चुनाव न लड़ सकें। इसके अलावा एक अन्य ट्वीट में सपा ने कहा कि फूलपुर लोकसभा उपचुनाव (2018 में) में अतीक अहमद से योगी आदित्यनाथ बहुत खुश थे। अतीक भाजपा की मदद कर रहे थे और पार्टी उनकी मदद कर रही थी। ट्वीट में कहा गया, कि योगी सरकार के एक मंत्री ने अतीक के परिवार से पैसे उधार लिए और उसे दूर करने के लिए, नंद गोपाल गुप्ता ’नंदी’ ने उधार के पैसे/साझेदारी को हड़पने के लिए सरकार का सहारा लिया।

गौरतलब है कि 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल की हत्या के मामले के मुख्य गवाह उमेश पाल और उसके दो सुरक्षा गार्ड की इस साल 24 फरवरी को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उमेश पाल की पत्नी जया पाल की शिकायत पर 25 फरवरी को अतीक, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, असद सहित दो बेटों, शूटर गुड्डू मुस्लिम व गुलाम तथा नौ अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। दो बदमाशों को पुलिस पहले ही मार चुकी है। अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम को गुरुवार को मार गिराया गया। 

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