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लंदन में भारतीय मिशन की सुरक्षा के लिए ब्रिटेन कर रहा है जरूरी उपाय: ब्रिटिश सुरक्षा मंत्री

ब्रिटेन के सुरक्षा मंत्री टॉम टुगेंडहट ने कहा है कि उनका देश लंदन में भारतीय उच्चायोग और उसके कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी उपाय कर रहा है।
खालिस्तान समर्थक तत्वों द्वारा लंदन में भारतीय मिशन पर हमला किये जाने के करीब पांच महीने बाद टुगेंडहट ने यह टिप्पणी की है। इस हमले की वजह से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया था।
वरिष्ठ मंत्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि ब्रिटिश सरकार खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताओं से निपट रही है और ब्रिटेन में लोगों को कट्टरपंथी बनाने के किसी भी प्रयास से कानून-प्रवर्तन अधिकारी निपटेंगे।
टुगेंडहट ने कहा, “इस बारे में एक बात बहुत साफ कर दूं। यह ब्रिटेन में भारतीय समस्या नहीं है। जब भी ब्रिटेन में ब्रिटिश नागरिकों को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश होगी तो ब्रिटिश सरकार इससे निपटेगी।”

उन्होंने कहा, यही कारण है कि हमारे पास ‘प्रीवेंट प्रोग्राम’ (निवारक कार्यक्रम) है और हम इसका इस्तेमाल विभिन्न समुदायों में कट्टरपंथ की चुनौतियों का सामना करने के लिए कर रहे हैं।
लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग पर मार्च में खालिस्तान समर्थकों के हमले और इमारत के सामने लगे खंभे से तिरंगा हटाने के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
टुगेंडहट कोलकाता में हुई ‘जी-20 भ्रष्टाचार-विरोधी मंत्रिस्तरीय बैठक’ में भाग लेने के लिए 10-12 अगस्त तक तीन-दिवसीय यात्रा पर भारत में थे। उन्होंने दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी बातचीत की।
ब्रिटेन के मंत्री ने कहा, “यह सुनिश्चित करने के लिए हम बहुत निकटता से काम करते हैं कि ‘हम एक-दूसरे का समर्थन कर रहे हैं’।

हाल के दिनों और हफ्तों में, मैं अपने दोस्तों और विशेष रूप से भारतीय उच्चायोग के लोगों के साथ बहुत निकटता से जुड़ा रहा हूं और काम कर रहा हूं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे लंदन में सुरक्षित रहें और जो कोई भी उन्हें धमकी देता है, उससे कानून के तहत निपटा जाएगा।”
टुगेंडहट ने ‘खालिस्तान समर्थक चरमपंथ’ से निपटने के वास्ते अपने देश की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए शुक्रवार को 95000 पाउंड (करीब एक करोड़ रुपये) के नये कोष की घोषणा की थी।
भारत और ब्रिटेन के बीच समग्र सुरक्षा सहयोग के दायरे की चर्चा करते हुए ब्रिटिश सुरक्षा मंत्री ने कहा, हम कहां हैं और हम कहां हो सकते हैं के बीच का फासला काफी बड़ा है और “मुझे लगता है कि हम और भी बहुत कुछ कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “वास्तविकता यह है कि (भारत-ब्रिटेन के) संबंध पहले से ही बहुत अच्छे हैं या उनमें बहुत बदलाव होने की संभावना नहीं है।”
ब्रिटिश सुरक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि भारत और ब्रिटेन आतंकवाद, चरमपंथ, कट्टरपंथ और साइबर अपराध की चुनौती से निपटने के लिए सहयोग बढ़ा रहे हैं।

टुगेंडहट ने कहा, “हमने पिछले कुछ वर्षों में बहुत अच्छी प्रगति की है, और यह इस तथ्य पर आधारित है कि दोनों (देश की) सरकारें न केवल समान समस्याओं से निपट रही हैं, बल्कि हम उनसे एक ही तरीके से निपट रहे हैं।”
उन्होंने कहा, हम कानून के शासन का पालन करते हैं और व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा करते हैं जो यह दिखाता है कि हम इन चुनौतियों पर उसी प्रकार से ध्यान दे रहे हैं, जिससे हम अपना बचाव कर सकते हैं।
दोनों देशों के लोगों के आपसी संबंधों पर टुगेंडहट ने कहा कि कुछ लोग नापाक हरकतों के लिए इन रिश्तों का दुरुपयोग उन जगहों पर कर रहे हैं जहां-जहां वे कर सकते हैं।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि व्यापक सुरक्षा संबंध इसका एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री (ऋषि) सुनक ने मुझसे आपकी सरकार से बात करने के लिए भारत आने को कहा, क्योंकि अधिकांश ध्यान हिंद प्रशांत के प्रशांत छोर पर रहा है और यह सुनिश्चित करना अहम है कि यह (क्षेत्र) अधिक पुनर्संतुलित हो।”

टुगेंडहट ने कहा कि भारत और ब्रिटेन के थल और नौ सेनाओं के बीच काफी अच्छे संबंध हैं और यह सैन्य संबंध वास्तविक रूप से अहम हैं, लेकिन सुरक्षा का दायरा इससे भी आगे जाता है।
ब्रिटेन के मंत्री ने कहा, “यह हमारी अर्थव्यवस्था की प्रौद्योगिकी और लोगों की सुरक्षा से जुड़ा है।”
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे संबंधों का निर्माण किया जा रहाजो यह सुनिश्चित करते हैं कि “हम अपने लोगों को सुरक्षित रख रहे हैं और उनकी निरंतर समृद्धि सुनिश्चित कर रहे हैं।”
विश्व स्तर पर प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के खिलाफ निर्णायक और ठोस कार्रवाई करने के लिए ‘रोडमैप 2030’ में दोनों देशों के संकल्प के बारे में पूछे जाने पर टुगेंडहट ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया।
उन्होंने कहा, “मैं इस बात पर चर्चा नहीं करूंगा कि हम किसे प्रतिबंधित कर सकते हैं या किसे नहीं, लेकिन ऐसे कई क्षेत्र हैं, जिनमें हम पहले से ही सहयोग कर रहे हैं और जहां हम अपने नागरिकों और अपने दोस्तों एवं सहयोगियों के लिए खतरा देखते हैं।

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