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‘अगर मायावती ने साथ दिया होता तो…’, राहुल गांधी के बयान पर भड़कीं बसपा प्रमुख, दिया ये जवाब

आज रायबरेली में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि हम चाहते थे कि बहनजी बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में हमारे साथ रहें। लेकिन किसी कारण से, मायावती जी ने ऐसा नहीं किया। अगर तीनों पार्टियां एक साथ आतीं, तो बीजेपी कभी नहीं जीतती। इसके बाद बसपा प्रमुख मायावती ने राहुल गांधी पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी जिन राज्यों में मजबूत है या जहाँ उनकी सरकारें हैं वहाँ बीएसपी व उनके अनुयाइयों के साथ द्वेष व जातिवादी रवैया है, किन्तु यूपी जैसे राज्य में जहाँ कांग्रेस कमजोर है वहाँ बीएसपी से गठबंधन की वरग़लाने वाली बातें करना यह उस पार्टी का दोहरा चरित्र नहीं तो और क्या है?
 

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पूर्व सीएम ने कहा कि फिर भी बीएसपी ने यूपी व अन्य राज्यों में जब भी कांग्रेस जैसी जातिवादी पार्टियों के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा है तब हमारा बेस वोट उन्हें ट्रांस्फर हुआ है लेकिन वे पार्टियाँ अपना बेस वोट बीएसपी को ट्रांस्फर नहीं करा पायी हैं। ऐसे में बीएसपी को हमेशा घाटे में ही रहना पड़ा है। उन्होंने कहा कि वैसे भी कांग्रेस व भाजपा आदि का चाल, चरित्र, चेहरा हमेशा बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर, उनकी अनुयायी बीएसपी व उसके नेतृत्व, उनके दलित-बहुजन अनुयाइयों एवं आरक्षण आदि का घोर विरोधी रहा है, जिससे देश संविधान का समतामूलक व कल्याणकारी उद्देश्य पाने में काफी पीछे जो चिन्ताजनक है।
 

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देश के संविधान में दलितों का योगदान रेखांकित करते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को यहां कहा कि डॉ. बी आर आंबेडकर के पास सुविधाओं का अभाव था, फिर भी उन्होंने पूरी राजनीतिक व्यवस्था को हिलाकर रख दिया था। कांग्रेस नेता और रायबरेली के सांसद ने यहां बरगद चौराहा के पास मूल भारती छात्रावास के दलित छात्रों के एक समूह से बातचीत करते हुए यह बात कही। उनके साथ कांग्रेस के अमेठी से सांसद किशोरी लाल शर्मा और पार्टी के अन्य नेता भी थे। देश की बड़ी 500 फर्मों में शामिल कुछ शीर्ष निजी कंपनियों का नाम लेते हुए गांधी ने युवाओं से पूछा कि उनमें से कितनी कंपनियों के प्रमुख दलित हैं।

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