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इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक संस्थानों पर कैग रिपोर्ट को लेकर सरकार, विपक्ष के बीच वाकयुद्ध

बिहार में इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक संस्थानों के कामकाज पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग)की एक रिपोर्ट को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली राज्य की महागठबंधन सरकार और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया है।

इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक संस्थानों के कामकाज पर 31 मार्च, 2021 को समाप्त वर्ष को लेकर हाल ही में बिहार विधानसभा में पेश कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) विभाग और भवन निर्माण विभाग (बीसीडी) ने 2016-21 की अवधि के दौरान कुल बजट प्रावधान का क्रमश: 46 और 22 प्रतिशत वापस किया जबकि राज्य सरकार ने फरवरी 2016में अवसर बढ़े आगे पढ़ें (एबीएपी) योजना के तहत 46 इंजीनियरिंग कॉलेजों/पॉलिटेक्निक संस्थानों की स्थापना के लिए 3,857 करोड़ रुपये मंजूर किए थे।

रिपोर्ट के अनुसार योजना की अवधि मार्च 2021 तक थी और 46 में से 18 भवनों का निर्माण धन के प्रावधान के बावजूद पूरा नहीं हुआ।
कैग रिपोर्ट के अनुसार अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा निर्धारित मानदंडों के खिलाफ शिक्षण कर्मियों की भारी कमी और गैर शिक्षण कर्मचारियों की लगभग अनुपलब्धता के कारण बिहार का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग इस योजना को ठीक से लागू नहीं कर सका जो कि तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है।

कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि योजना का उद्देश्य भूमि के विलंबित अधिग्रहण, अनुपयुक्त भूमि के अधिग्रहण, भवन निर्माण विभाग द्वारा भवनों के गैर/विलंबित निर्माण तथा अपर्याप्त बुनियादी ढांचे, उपकरण, सुविधाओं आदि से भी विफल रहा। इसके अनुसार योजना का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण तकनीकी और कौशल आधारित शिक्षा प्रदान करना था लेकिन इसे पांच साल बाद भी हासिल नहीं किया जा सका।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मामला राज्य सरकार को प्रतिवेदित (अक्टूबर 2020) किया गया था पर अनुस्मारक के बावजूद उत्तर प्रतीक्षित (अप्रैल 2022) है।
कैग की रिपोर्ट पर बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘बिहार में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली के लिए अकेले नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं। 2005 से शिक्षा विभाग नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के पास था। अब उन्होंने राजद (राष्ट्रीय जनता दल) को इसकी कमान सौंपी है।

आनंद ने कहा कि जहां तक उच्च शिक्षा की बात है तो कई नए संस्थान खुल गए हैं लेकिन पुराने प्रतिष्ठित संस्थानों की स्थिति चरमरा गई है। उन्होंने कहा, ‘‘नियुक्ति प्रणाली बहुत भ्रामक और अराजक है। हम अभी भी कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षकों को मासिक भुगतान और पेंशन नहीं दे पाए हैं। पाठ्यक्रम का सत्र निर्धारित समय से दो से पांच वर्ष पीछे है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि 2005 से आज तक लगातार कैग की रिपोर्ट ने शिक्षा के क्षेत्र में बिहार सरकार की दृष्टि और नीति कार्यान्वयन की कमी को उजागर किया है।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था रसातल के गर्त में है। उन्होंने कहा कि भविष्य की चुनौती यह है कि बिहार की शिक्षा प्रणाली को उसकी वर्तमान गड़बड़ी और अराजकता से कैसे उबारा जाए।
कैग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह ने पीटीआई-से कहा, ‘‘इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक संस्थानों के कामकाज पर कैग की रिपोर्ट के बारे में भाजपा क्या कह रही है, मुझे इसकी परवाह नहीं है। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इस साल मार्च के बाद बक्सर जिले को छोड़कर प्रदेश के सभी जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज अपने परिसर से काम करना शुरू कर देंगे। सरकार ने शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती पहले ही शुरू कर दी है और यह प्रक्रिया इसी साल पूरी हो जाएगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा हमने अनुबंध के आधार पर शिक्षण कर्मी भी नियुक्त किये हैं।

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