देश के महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि मिजोरम सरकार ने यहां डार्टलैंग से चाल्टलैंग तक रोपवे केबल कार की स्थापना से जुड़ी परियोजना में 15 करोड़ रुपये की ‘फिजूलखर्ची’ की।
सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया कि केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने पाया कि विभिन्न काम से जुड़े सलाहकारों ने व्यवहार्यता रिपोर्ट नहीं सौंपी और अपने डीपीआर में उल्लेख नहीं किया कि परियोजना तीन विद्युत पारेषण लाइन से होकर गुजरेगी।
केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा स्वदेशी दर्शन योजना की ‘इको सर्किट थीम’ के तहत 99.07 रुपये की आइजोल-लेंगपुई-हमुइफांग रोपवे परियोजना को मार्च 2017 में शुरू किया गया था, जिसे 30 महीने में पूरा किया जाना था। डार्टलैंग-चाल्टलैंग परियोजना इसका एक हिस्सा थी।
कैग की रिपोर्ट मे में कहा गया कि केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने दिसंबर, 2019 में देखा था कि रोपवे से जुड़े कार्य अनुमोदन प्राप्त किए बिना और परियोजना की व्यवहार्यता का आकलन किए बिना किये जा रहे थे।
रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर, 2018 में पर्यटन विभाग और राज्य ऊर्जा और बिजली विभागों और पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन के प्रतिनिधियों के बीच बैठक में सहमति बनी थी कि प्रस्तावित रोपवे परियोजना व्यवहार्य नहीं हो सकती है और इसे नियोजित स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है।
लेकिन मिजोरम सरकार ने डार्टलैंग से चाल्टलैंग तक रोपवे केबल कार की स्थापना के लिए पहले ही सितंबर 2017 से नवंबर 2018 के दौरान ठेकेदारों को भुगतान करने में 15.09 करोड़ रुपये खर्च कर दिये थे।