केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पश्चिम बंगाल के संदेशखाली के ग्रामीणों के लिए जमीन हड़पने और अन्य संबंधित अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए एक समर्पित ईमेल आईडी, sandeshkhali@cbi.gov.in बनाई है। यह कदम कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश के बाद उठाया गया है, जिसमें संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध और जमीन हड़पने के आरोपों की अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच का निर्देश दिया गया था। सीबीआई प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि उत्तर 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट से भी अनुरोध किया गया है कि वे इलाके में उक्त ई-मेल आईडी का पर्याप्त प्रचार करें और माननीय उच्च न्यायालय के अनुसार क्षेत्रों में व्यापक प्रसार वाले स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों में एक सार्वजनिक सूचना भी जारी करें। मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अगुवाई वाली खंडपीठ ने सीबीआई को 2 मई को अगली सुनवाई तक आरोपों पर एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
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अदालत ने संदेशखाली के भीतर संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी कैमरे और एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगाने का भी आदेश दिया और राज्य सरकार को इन सुरक्षा उपायों के लिए आवश्यक धन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि न्याय और निष्पक्षता के हित में और विभिन्न शिकायतों और आरोपों पर शीघ्र विचार के लिए निष्पक्ष जांच की जानी आवश्यक है। संदेशखाली विवाद को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ आक्रामक रही भारतीय जनता पार्टी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में पहला कदम है।
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भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले ने टीएमसी सरकार का असली चेहरा “उजागर” कर दिया है। कोर्ट के फैसले से तानाशाह बन चुकीं ममता बनर्जी का असली चेहरा सामने आ गया है। वह संदेशखाली में बलात्कार और अत्याचार के पीड़ितों की दुर्दशा के प्रति उदासीन थीं क्योंकि उनका एजेंडा उन्हें सुरक्षा प्रदान करना नहीं था बल्कि शाहजहाँ शेख जैसे अपराधियों को सुरक्षा प्रदान करना था।