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नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह वित्तीय समस्याओं से निपटने के लिए केरल सरकार को 31 मार्च तक एकमुश्त पैकेज देने पर विचार करे। केरल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ अपने लंबित मुकदमे का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र सरकार राज्य को जरूरी राशि नहीं जारी कर रही है।
पीठ ने राज्य सरकार की याचिका बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताते हुए कहा कि केंद्र थोड़ा उदार रुख अपनाते हुए केरल को विशेष मामले के रूप में एकमुश्त पैकेज दे सकता है। पीठ ने कहा कि आने वाले बजट में अधिक कठोर शर्तें रखी जा सकती हैं लेकिन 31 मार्च से पहले राज्य को एक विशेष पैकेज दिया जाना चाहिए ताकि वह वित्तीय समस्याओं से निपट सके।
इस पर केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमण ने कहा कि ऑफसेटिंग बैलेंस का केरल के वित्त पर असर पड़ रहा है और राज्य ने राजकोषीय सशक्तीकरण को दो बार टाल दिया है। ऑफसेटिंग बैलेंस वह न्यूनतम राशि होती है जिसे ऋण देने की एक शर्त के रूप में उधारकर्ता को जमा रखने की जरूरत होती है। केरल सरकार ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर केंद्र सरकार पर कर्ज लेने की सीमा लगाकर राज्य के वित्त को विनियमित करने के लिए अपनी ‘विशेष, स्वायत्त और पूर्ण शक्तियों’ के प्रयोग में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया है।