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केंद्र को सहकारी बैंकों के प्रति अपना रवैया बदलना होगा- शरद पवार

पुणे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि केंद्र सरकार को सहकारी बैंकों के प्रति अपना रवैया बदल उनका सहयोग करना चाहिए क्योंकि ये आम आदमी की सेवा करते हैं।
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने बृहस्पतिवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा कि यह एक गलत धारणा है कि सबसे ज्यादा अनियमितता सहकारी बैंकों में होती है।
पवार विश्वेश्वर सहकारी बैंक लिमिटेड की स्वर्ण जयंती के मौके पर आयोजित समारोह के समापन कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में 90 प्रतिशत से ज्यादा अनियमितता राष्ट्रीयकृत और अनुसूचित बैंकों में होती है जबकि सहकारी बैंकों में सिर्फ 0.46 प्रतिशत अनियमितता होती है।

उन्होंने आगे कहा, मुझे चिंता होती है जब मैं देखता हूं कि सहकारी बैंकों को कैसे देखा जा रहा है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीयकृत बैंकों में भारी निवेश किया है। यह करना ही होता है क्योंकि अगर निवेश नहीं किया जाता तो इन बैंकों की हालत बहुत बिगड़ जाती।
पवार ने दावा किया, आम तौर पर गलत धारणा है कि सहकारी बैंकों में काम करने वाले लोग गलत काम करते हैं.. सहकारी क्षेत्र में अनियमितता पाई जाती है लेकिन अगर आप अनियमितता का पूरा आंकड़ा देखें तो आपको पता चलेगा कि राष्ट्रीयकृत और अनुसूचित बैंकों में अनियमितता 92 प्रतिशत और सहकारी क्षेत्र में मुश्किल से 0.43 प्रतिशत है।

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उन्होंने आगे कहा कि सहकारी बैंक आम आदमी के हितों के रक्षक हैं। उन्होंने कहा, इसीलिए सहकारी क्षेत्र के बैंकों के प्रति केंद्र सरकार का रवैया बदलना चाहिए. अगर इन बैंकों पर कोई संकट आता है तो हमें इन बैंकों के साथ खड़ा होना चाहिए।
पवार ने कहा कि सबसे ज्यादा सहकारी बैंक महाराष्ट्र में हैं और देश में इसका अलग स्थान है। दूसरे स्थान पर गुजरात और फिर कर्नाटक हैं।
राकांपा प्रमुख ने इससे पहले बैंक नियामक अधिनियम का विरोध किया था, जिसमें सभी सहकारी बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक के अंतर्गत लाया गया था।

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