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तेलंगाना हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 1987 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर नोटिस जारी किया। यह याचिका श्री वीरभद्र स्वामी मंदिर के पुजारियों की ओर से तेलंगाना राज्य के खिलाफ दायर की गई थी। अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती देने के अलावा, एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड राशी बंसल के माध्यम से दायर याचिका में मंदिर के लिए एक कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करने वाले बंदोबस्ती आयुक्त द्वारा पारित आदेशों की भी आलोचना की गई है।

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नोटिस जारी करते हुए जस्टिस एमएम सुंदरेश और एस.वी.एन. की बेंच ने नोटिस जारी किया। भट्टी ने इन आदेशों पर रोक भी लगा दी है।  वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्ता मखिकजा द्वारा प्रस्तुत याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि, इन विवादित आदेशों के माध्यम से तेलंगाना सरकार उक्त मंदिर पर कब्जा करने और याचिकाकर्ताओं को हटाने का प्रयास कर रही है। इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, यह तर्क दिया गया है कि उल्लिखित अधिनियम और चुनौती दिया गया आदेश अधिकारातीत हैं। अधिनियम को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि यह सरकार को निरंकुश शक्ति देता है, क्योंकि यह बिना किसी कारण के किसी भी मंदिर के प्रबंधन को बदल सकता है।

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उक्त अधिनियम के तहत, प्रतिवादी सरकार के पास किसी भी मंदिर के प्रशासन को खत्म करने और किसी भी मंदिर के प्रबंधन को प्रतिवादी सरकार के निर्देशों के तहत एक कार्यकारी अधिकारी द्वारा संचालित अपनी पसंद के न्यासी बोर्ड से बदलने की निरंकुश शक्तियां हैं। याचिका में कहा गया है कि इस शक्ति का प्रयोग अधिनियम के तहत बिना किसी कारण या कारण के, पूरी तरह से मनमाने ढंग से किया जा सकता है।

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