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महाराष्ट्र में होने जा रहे विधानसभा चुनाव का प्रचार थम चुका है। राज्य में कल यानि 20 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को मतगणना होगी। राज्य की 288 सीटों में से मुक्ताईनगर सीट भी राज्य की राजनीति में अपना एक अहम स्थान रखती है। इस सीट पर लंबे वक्त तक बीजेपी का राज रहा है। यहां से एकनाथ खडसे लंबे वक्त तक बीजेपी के टिकट पर चुने गए। महाराष्ट्र की मुक्ताईनगर विधानसभा सीट राज्य की उन सीटों में से एक मानी जाती है जो कि बीजेपी का गढ़ है। बीजेपी और एकनाथ खडसे का ये विजयरथ 2019 के चुनाव में आकर रुक गया। 2019 के चुनाव में मिली करारी हार के बाद एकनाथ खडसे ने बीजेपी का दामन छोड़ एनसीपी की सदस्यता ली थी।
जानिए 2019 के परिणाम
इस सीट राज्य में अपने नाम से कम और राज्य के दिग्गज नेता एकनाथ खडसे के नाम से ज्यादा जानी जाती है। इस सीट पर 1990 के बाद से बीजेपी ने कभी हार का मुंह नहीं देखा। 1990 से लेकर 2014 तक एकनाथ खडसे ही इस सीट पर चुनाव लड़ते और जीतते आए हैं। लेकिन, 2019 के चुनाव में कुछ ऐसा हुआ जो खडसे ने शायद ही कभी सोचा होगा। इस चुनाव में खडसे की बेटी रोहिणी एकनाथ खडसे ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। उनके खिलाफ चंद्रकांत निंबा पाटिल ने निर्दलीय पर्चा भर दिया। इस चुनाव में कांटे की टक्कर के बावजूद चंद्रकांत निंबा पाटिल बाजी मार ले गए और 1,957 वोटों से रोहिणी की हरा दिया।
क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण
इस विधानसभा सीट पर अगर जातिगत समीकरणों की बात की जाए तो यहां पाटिल समाज के लोग ज्यादा संख्या में हैं। इनका प्रतिशत विधानसभा में करीब साढ़े सोलह प्रतिशत है। वहीं दूसरे नंबर पर मुस्लिम समाज के लोग यहां रहते हैं जिनकी संख्या करीब 9 प्रतिशत है। हालांकि यहां के चुनावों पर जातिगत समीकरण कभी भी ज्यादा हावी नहीं रहे हैं।
चंद्रकांत पाटिल का परिचय
साल 2005 में चंद्रकांत पाटिल बीजेपी में शामिल हुए और उन्हें पार्टी की महाराष्ट्र इकाई का सचिव नियुक्त किया गया। वह 2008 और 2014 में पुणे स्नातक चुनाव क्षेत्र से विधान पार्षद का चुनाव जीते। इसके बाद साल 2014 में जब बीजेपी महाराष्ट्र में सत्ता में आई तो चंद्रकांत पाटिल को कैबिनेट में जगह मिली। पाटिल के पास राजस्व, कपड़ा, लोक निर्माण विभाग, सहकारिता और वाणिज्य विभाग का प्रभार रहा।
पुणे से पाटिल ने लड़ा था चुनाव: 2019 में चंद्रकांत पाटिल ने विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। इसके बाद बीजेपी ने पाटिल को पुणे शहर से पार्टी की तत्कालीन विधायक मेधा कुलकर्णी की जगह उम्मीदवार चुना। पाटिल का ताल्लुक कोल्हापुर जिले से है, लेकिन वह वहां से कभी चुनाव नहीं लड़े। एबीवीपी में रहने के दौरान ही वह बीजेपी के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के संपर्क में आए।