जिसका देश को था इंतजार आखिर वो घड़ी आ ही गई। पिछले एक महीने से जिस खबर के आने का लगातार इंतजार है। चंद्रयान 3 की एक-एक जानकारी पर पूरे देश की निगाहे थी। वहीं चंद्रयान अब बस कुछ ही दिन इतिहास रचने से दूर है। लगातार अपनी एक-एक मंजिल को पार कर आगे बढ़ता चंद्रयान अब चांद के कितने करीब पहुंच चुका है, इसका अपडेट इसरो की ओर से लगातार दिया जा रहा है। बताया कि एक और अहम पड़वा चंद्रयान 3 ने पार कर लिया है। चंद्रयान 3 अब चांद की सतह से केवल 100 किलोमीटर की दूरी पर है। चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर को चांद के सतह पर उतरने की आखिरी 100 किलोमीटर की यात्रा खुद करनी है। उसे अपने इंजनों यानी थ्रस्टर्स का इस्तेमाल करके अपनी गति धीमी करनी है। साथ ही ऊंचाई भी कम करनी है। 17 अगस्त यानी आज ही के दिन दोपहर 1 बजे के करीब विक्रम लैंडर अपने प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया है।
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धरती से रवाना हुआ चंद्रयान 3 अपने 40 दिन के सफर में से 33 दिन पूरे कर चुका है। 21 तारीख लूना 25 के चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की तारीख बताई जा रही है। लूना 25 का मिशन लाइफ करीब 1 साल का है। जबकि भारत के चंद्रयान 3 का मिशन लाइफ करीब 14 दिन का है। लूना 25 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग के लिए छोटा रास्ता अपनाया है। इस रास्ते के बारे में दुनिया की किसी भी अंतरिक्ष एजेंसी को नहीं मालूम है। लूना 25 रूस के लिए बहुत अहमियत रखता है।
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भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन में इतना समय क्यों लगा?
अपने सोयुज रॉकेट से लॉन्च किए गए लूना-25 को अधिक सीधे प्रक्षेपवक्र के कारण चंद्रमा तक अपनी यात्रा में चंद्रयान-3 की तुलना में कम समय लगा है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यह लूना-25 क्राफ्ट के हल्के पेलोड और अधिक ईंधन भंडारण के कारण संभव हुआ। जबकि लूना 25 का लिफ्ट-ऑफ द्रव्यमान केवल 1,750 किलोग्राम है, चंद्रयान -3 का कुल वजन 3,900 किलोग्राम है, जिसमें लैंडर मॉड्यूल का वजन 1,752 किलोग्राम और प्रणोदन मॉड्यूल का वजन 2,148 किलोग्राम है। चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण यान – प्रक्षेपण यान मार्क-III (एलवीएम3) – भारत का सबसे भारी रॉकेट है, लेकिन इतना शक्तिशाली नहीं है कि मिशन को चंद्र सतह के सीधे रास्ते पर ले जा सके। अखबार ने कहा कि इसमें ईंधन का भंडार कम है, जिसके कारण अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा तक एक घुमावदार रास्ता अपनाया।