प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में हमने इस सप्ताह ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी से जानना चाहा कि एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक को किस रूप में देखते हैं आप? भारत-चीन, भारत-रूस के विदेश मंत्रियों की द्विपक्षीय बैठकें भी हुईं मगर पाकिस्तान के विदेश मंत्री के साथ कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई उल्टा पाकिस्तान को खरी खरी सुना दी गयी, इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के दौरान आतंकवाद के मुद्दे पर जहां पाकिस्तान को मुंह पर खरी-खरी सुना दी वहीं चीन से द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान स्पष्ट संकेत दे दिया कि उसकी विस्तारवादी नीति भारत के सामने नहीं कामयाब होगी।
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि यह भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की स्पष्टवादिता का ही कमाल रहा कि पाकिस्तान भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर मुकाबला करने का आह्वान करने पर मजबूर हो गया तो वहीं चीन ने कह दिया कि भारत-पाक संबंधों में सब ठीक है, कोई चिंता की बात नहीं है। जहां तक चीन से भारत की वार्ता की बात है तो आपको बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष छिन कांग से मुलाकात के एक दिन बाद कहा कि पूर्वी लद्दाख की सीमा पर स्थिति ‘असमान्य’ है और भारत और चीन के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते अगर सीमावर्ती इलाकों में शांति और स्थिरता की स्थिति बाधित हो। जयशंकर ने यह भी कहा कि सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को आगे ले जाने की जरूरत है।
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उन्होंने कहा कि जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री ने बृहस्पतिवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक से इतर द्विपक्षीय वार्ता की। जयशंकर ने इस मुलाकात के बारे में बताया है कि मुझे लगता है कि मुद्दा यह है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में एक असामान्य स्थिति है। हमने इस बारे में खुलकर बात की। जयशंकर ने कहा, ‘‘हमें सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को आगे ले जाना होगा और हमनें सार्वजनिक रूप से भी इसे स्पष्ट किया है। जो मैं बंद कमरे में कहता हूं, वह जो बाहर कहता हूं, उससे अलग नहीं है… भारत और चीन के संबंध सामान्य नहीं हैं एवं ये सामान्य नहीं हो सकते अगर सीमा पर शांति और स्थिरता बाधित हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बारे में बहुत स्पष्ट रहा हूं, मैं इस बारे में लगातार कहता रहा हूं और इस रुख में बैठक के दौरान भी कोई बदलाव नहीं आया।’’ जब चीन के इस दावे के बारे में पूछा गया कि सीमा पर स्थिति स्थिर है तो जयशंकर ने संकेत दिया कि ऐसा नहीं है।
उन्होंने कहा कि जहां तक पाकिस्तान के साथ वार्ता की बात है तो कोई द्विपक्षीय मुलाकात तो हुई नहीं लेकिन बहुपक्षीय मंच पर भारत ने पाकिस्तान को जोरदार तरीके से आड़े हाथ लिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और उनके पाकिस्तानी समकक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने ‘‘कूटनीतिक फायदे के लिए आतंकवाद को हथियार’’ के तौर पर इस्तेमाल नहीं करने का आह्वान किया। गोवा में भारत द्वारा आयोजित एससीओ के सम्मेलन में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद सहित सभी तरह के आतंकवाद को रोका जाना चाहिए। वहीं, बिलावल ने ‘‘अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन’’ का मुद्दा उठाया, जिसे कश्मीर के परोक्ष संदर्भ के रूप में देखा गया।
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे जयशंकर ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि आतंकवाद की अनदेखी करना समूह के सुरक्षा हितों के लिए हानिकारक होगा और जब दुनिया कोविड-19 महामारी तथा उसके प्रभावों से निपटने में लगी थी, तब भी आतंकवाद की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही।