कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार ने एक कॉलेज के शौचालय में तीन लड़कियों द्वारा एक साथी छात्रा का कथित तौर पर वीडियो बनाने का मामला आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) को सौंप दिया है।
सिद्धरमैया ने ट्वीट किया, ‘‘आरोप है कि उडुपी के एक निजी कॉलेज के शौचालय में एक वीडियो बनाया गया और चूंकि यह एक संवेदनशील मामला है, इसलिए इसे आगे की जांच के लिए सीआईडी को सौंप दिया गया है।’’
उन्नीस जुलाई को हुई इस घटना ने राजनीतिक मोड़ ले लिया है और इसको लेकर शहर में काफी विरोध प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने उन तीन छात्राओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, जिन्होंने कथित तौर पर यहां एक कॉलेज के शौचालय में एक अन्य लड़की का वीडियो बना लिया था।
इस घटना को कुछ हलकों में सांप्रदायिक तरीके से चित्रित किया गया, क्योंकि पीड़ित और आरोपी अलग-अलग धार्मिक समुदायों से हैं।
राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सदस्य खुशबू सुंदर ने घटना के पीछे की सच्चाई का पता लगाने के लिए 26 जुलाई को उडुपी का दौरा किया था।
चूंकि पीड़िता ने औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं करायी थी, इसलिए पुलिस ने 26 जुलाई को उडुपी के मालपे पुलिस थाने में इस संबंध में स्वत: संज्ञान लेते हुए एक मामला दर्ज किया और पुलिस उपाधीक्षक स्तर की जांच की जा रही है।
भाजपा ने इस मुद्दे पर राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करते हुए तीन लड़कियों की गिरफ्तारी और घटना की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच की मांग की थी।
उडुपी के पुलिस अधीक्षक हाके अक्षय मच्छिन्द्र ने भी पुष्टि की कि मामला सीआईडी को सौंप दिया गया है। उन्होंने मामले को सीआईडी को सौंपने के पीछे के कारण के बारे में विस्तार से बताने से इनकार कर दिया।
नेत्र ज्योति कॉलेज की निदेशक रश्मि कृष्ण प्रसाद के अनुसार, घटना 19 जुलाई को हुई और इसके बारे में पता चलने के बाद, तीनों लड़कियों को अगले दिन कॉलेज से निलंबित कर दिया गया।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि तीनों लड़कियां कॉलेज में फोन लेकर आईं, जिसकी नियमानुसार अनुमति नहीं है और फिर उन्होंने कथित तौर पर शौचालय में एक लड़की का वीडियो बनाया।
प्रसाद ने बताया कि तीनों लड़कियों ने बाद में पीड़िता को बताया कि उन्होंने गलती से उसका वीडियो बना लिया, जबकि उनका निशाना कोई और था और फिर उन्होंने वीडियो हटा दिया।
जब पीड़िता ने कॉलेज की अन्य लड़कियों को इस बारे में जानकारी दी, तो वेघबरा गईं और मामले की जानकारी कॉलेज प्रबंधन को दी। हालांकि, बाद में कुछ लड़कियों ने आरोप लगाया कि शौचालय में वीडियो बनाया जाना पिछले छह महीने से चल रहा था और आरोपियों ने ये वीडियो कथित तौर पर उन्हें (जिनका वीडियो बनाया गया) ब्लैकमेल करने के लिए कुछ लड़कों के साथ साझा किए थे। हालांकि, पुलिस ने कहा कि उन्हें ऐसा कोई वीडियो नहीं मिला है।
सत्ताइस जुलाई को कर्नाटक के गृहमंत्री जी परमेश्वर ने इसे एक छोटी सी घटना करार दिया था, जिसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।’’
आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर कई दिनों तक शहर में व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया।